नई दिल्ली:- संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के व्यवहार पर आपत्ति जताई। यह घटना तब हुई जब शून्यकाल शुरू होने से पहले मेघवाल कार्यसूची में दर्ज अन्य मंत्रियों की अनुपस्थिति में उनके नाम से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत कर रहे थे।
क्या हुआ सदन में?
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान जब अर्जुन राम मेघवाल अन्य मंत्रियों की ओर से दस्तावेज सदन पटल पर रख रहे थे तो ओम बिरला ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा संसदीय कार्य राज्य मंत्री जी यह प्रयास करो कि जिनका नाम सदन में है वह उपस्थित रहें। नहीं तो फिर आप ही दे दो सबके जवाब। स्पीकर के इस बयान के बाद सदन में ठहाके गूंजने लगे। इसके साथ ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया जिसमें ओम बिरला की त्वरित टिप्पणी को सराहा जा रहा है।
नियम क्या कहता है?
संसद की प्रक्रिया के अनुसार, प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद कार्यसूची में दर्ज कागजात संबंधित मंत्री द्वारा सदन के पटल पर रखे जाते हैं। लेकिन यदि मंत्री अनुपस्थित रहते हैं तो यह जिम्मेदारी संसदीय कार्य राज्य मंत्री निभाते हैं।
सोमवार को सरकार और विपक्षी दलों के बीच एक सप्ताह से चल रहे गतिरोध को खत्म करने पर सहमति बनी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को सदस्यों को चेतावनी दी कि यदि स्थगन के कारण सदन की कार्यवाही बाधित होती है तो इसे पूरा करने के लिए सप्ताहांत में भी कार्यवाही आयोजित करनी पड़ सकती है।
ओम बिरला की टिप्पणी ने न केवल सदन का माहौल हल्का किया बल्कि यह संदेश भी दिया कि मंत्री अपनी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दें। यह घटना शीतकालीन सत्र की प्रमुख चर्चा का हिस्सा बन गई है।