नई दिल्ली:- हाल ही में एक अजीब घटना ने चिकित्सकीय समुदाय को चौंका दिया। एक मूकबधिर युवक जो बगड़ मां सेवा समिति के अनाथ आश्रम में रह रहा था को बीडीके अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था। पोस्टमार्टम के बाद जब शव को निरीक्षण हेतु खोला गया तो युवक अचानक जिंदा हो उठा। यह घटना जिले के स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सीय लापरवाही के संदर्भ में एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। मिली जानकारी के अनुसार युवक को पहले बीडीके अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया था जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। युवक की पहचान एक मूकबधिर के रूप में हुई, और वह बगड़ मां सेवा समिति के अनाथ आश्रम में निवास करता था। अस्पताल में प्रारंभिक जांच के बाद उसे मृत मानते हुए पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन जैसे ही शव का निरीक्षण किया गया। उसमें हलचल पाई गई और युवक जिंदा हो गया।
इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों के बीच चिंताएँ बढ़ गई हैं। इस मामले को लेकर बीडीके अस्पताल में एक बैठक चल रही है जो करीब तीन घंटे से जारी है। इसमें यह स्पष्ट किया जा रहा है कि चिकित्सकीय लापरवाही का स्तर क्या था और इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन होगा। साथ ही पोस्टमार्टम के दौरान हुई इस चमत्कारी घटना को लेकर भी चर्चा हो रही है जिसे कुछ लोग चमत्कार मान रहे हैं जबकि अन्य इसे पूरी तरह से लापरवाही मानते हैं।
अब इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है जिसे जिला कलेक्टर के पास भेजा जाएगा। कमेटी को पूरी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी जिसमें सभी तथ्यों और परिस्थितियों की जांच की जाएगी। इस मामले में न केवल अस्पताल की चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की जांच होगी बल्कि यह भी देखा जाएगा कि मृतक के शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में कितनी सटीक जानकारी दी गई थी। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है और आने वाले दिनों में इस पर बड़ा ध्यान दिया जाएगा।