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उषा वांस के दादा की बोलचाल ने आईआईटी छात्रों को मोहित किया

हैदराबाद:-हैदराबाद के एक छोटे से गाँव में रहने वाले उषा वांस के दादा वेंकटेश्वर राव एक अद्वितीय व्यक्ति थे। उनकी तेलुगु बोलचाल की एक विशेषता थी जो उन्हें हर किसी के दिल के करीब ले जाती थी। यही विशेषता थी जिसने आईआईटी के छात्रों को उनसे प्यार करने पर मजबूर किया।

वेंकटेश्वर राव एक शिक्षक थे और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय शिक्षा में बिताया था। उनकी तेलुगु बोलचाल में एक विशेष संगीत था जो उनके छात्रों को आकर्षित करता था। उनके छात्र उनसे बहुत प्यार करते थे और उनकी बोलचाल की नकल करने की कोशिश करते थे।

एक दिन आईआईटी के कुछ छात्र वेंकटेश्वर राव के गाँव में आए। वे उनकी तेलुगु बोलचाल सुनने के लिए उत्सुक थे। जब वेंकटेश्वर राव ने उनसे बात की तो उनकी तेलुगु बोलचाल ने छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने उनकी बोलचाल की नकल करने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे।

इसके बाद आईआईटी के छात्र वेंकटेश्वर राव के गाँव में आने लगे। वे उनकी तेलुगु बोलचाल सुनने के लिए उत्सुक थे। वेंकटेश्वर राव ने उन्हें अपनी तेलुगु बोलचाल सिखाने का फैसला किया। जल्द ही उनके गाँव में एक तेलुगु बोलचाल की क्लास शुरू हो गई।

वेंकटेश्वर राव की तेलुगु बोलचाल ने न केवल आईआईटी के छात्रों को आकर्षित किया बल्कि यह उनके गाँव के लिए भी एक पहचान बन गई। लोग उनके गाँव में उनकी तेलुगु बोलचाल सुनने के लिए आते थे।

आज वेंकटेश्वर राव की तेलुगु बोलचाल की कहानी पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह एक प्रेरणा की कहानी है जो हमें अपनी मातृभाषा की महत्ता को समझने के लिए प्रेरित करती है।

_वेंकटेश्वर राव की तेलुगु बोलचाल की विशेषताएं_

– उनकी तेलुगु बोलचाल में एक विशेष संगीत था।

– उनकी बोलचाल में एक अद्वितीय लय थी।

– उनकी तेलुगु बोलचाल ने हर किसी को आकर्षित किया।

_वेंकटेश्वर राव की विरासत_

– उनकी तेलुगु बोलचाल की क्लास अभी भी उनके गाँव में चलती है।

– उनकी तेलुगु बोलचाल की कहानी पूरे देश में प्रसिद्ध है।

– उनकी विरासत आज भी जीवित है।

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