नई दिल्ली :- रेपो दर में मई 2022 से 2.5 फीसदी की कुल बढ़ोतरी से महंगाई को 1.60 फीसदी तक कम करने में मदद मिली है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर देबब्रत पात्रा, इंद्रनील भट्टाचार्य, जॉइस जॉन और अवनीश कुमार ने सोमवार को एक लेख में यह दावा किया है। इसके मुताबिक। नीतिगत दर में वृद्धि ने महंगाई को स्थिर किया और कुल मांग को नियंत्रित किया।
अल्पकालिक ब्याज दरों पर अधिक प्रभाव
इसमें आगे कहा गया है कि मौद्रिक नीति में बदलाव दीर्घकालिक दरों की तुलना में अल्पकालिक ब्याज दरों को अधिक प्रभावित करते हैं। लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 की पहली छमाही में मजबूत रही। महंगाई में गिरावट से घरेलू खर्च को समर्थन मिला। मौद्रिक नीति में नरमी के बीच आर्थिक वृद्धि की स्थिर गति ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण विषय बन रही है।
खपत मांग बढ़ने से निजी निवेश में तेजी
आरबीआई के एक बुलेटिन में कहा गया है कि कारोबार को लेकर बढ़ती उम्मीद और त्योहारी सीजन में उपभोग मांग बढ़ने से निजी निवेश में उत्साहजनक संकेत दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर देश की आर्थिक वृद्धि को घरेलू क्षेत्र से समर्थन मिल रहा है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो अस्थायी नरमी दिखी है देश में कुल मांग इससे पार पाने के लिए तैयार है। इसकी वजह त्योहारी मांग में तेजी है।
आंकड़ों से पता चलता है कि क्रेडिट कार्ड लेनदेन की संख्या धीमी हुई है।