अयोध्या (उत्तर प्रदेश):- अयोध्या शहर जो भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है वहां हिंदू-मुस्लिम एकता की एक अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। यहां हर साल रामलीला के मंचन में मुस्लिम समुदाय के लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस परंपरा की शुरुआत 1963 में हुई थी जब अयोध्या के मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों ने रामलीला कमेटी से संपर्क किया और इस आयोजन में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। तब से लेकर आज तक मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला के मंचन में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष श्री रामदास त्रिपाठी ने कहा “हमें गर्व है कि हमारे मुस्लिम भाइयों ने रामलीला में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। यह हमारे शहर की एकता और सौहार्द का प्रतीक है।”
मुस्लिम समुदाय के सदस्य मोहम्मद शाहिद ने कहा “हमें रामलीला में भाग लेने का अवसर देने के लिए हमें रामलीला कमेटी का आभारी हैं। यह हमारे लिए एक सम्मान की बात है कि हम भगवान राम की कथा को मंच पर पेश कर सकते हैं।”
रामलीला के मंचन में मुस्लिम समुदाय के लोग विभिन्न भूमिकाएं निभाते हैं जिनमें राम लक्ष्मण हनुमान और रावण की भूमिकाएं शामिल हैं। वे अपने अभिनय और नृत्य कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
इस आयोजन को देखने के लिए हर साल हजारों लोग आते हैं। यह आयोजन न केवल हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है बल्कि यह शहर की सांप्रदायिक सौहार्द को भी दर्शाता है।
अयोध्या के मेयर श्री ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा “यह आयोजन हमारे शहर की एकता और सौहार्द का प्रतीक है। हमें गर्व है कि हमारे मुस्लिम भाइयों ने रामलीला में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।”
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए रामलीला कमेटी और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने मिलकर काम किया है। यह आयोजन न केवल हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है बल्कि यह शहर की सांप्रदायिक सौहार्द को भी दर्शाता है।