नई दिल्ली :-उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार के बुलडोजर अभियान पर सख्त रुख अपनाते हुए नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह कदम मीलॉर्ड के रोक के आदेश के बावजूद बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहने के मद्देनजर उठाया है।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार से जवाब मांगा है और पूछा है कि आखिर क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि बुलडोजर की कार्रवाई से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए।
*बुलडोजर जस्टिस: एक विवादित मुद्दा*
बुलडोजर जस्टिस एक विवादित मुद्दा है जिसमें आरोपियों के घरों को ध्वस्त कर दिया जाता है। यह प्रवृत्ति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई थी जिन्होंने कहा था कि उनकी सरकार महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराध करने वालों के घरों को ध्वस्त कर देगी।
हालांकि इस प्रवृत्ति की आलोचना भी हो रही है क्योंकि यह कानून के शासन का उल्लंघन करती है और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का हनन करती है। कई मामलों में यह देखा गया है कि निर्दोष लोगों के घरों को भी ध्वस्त कर दिया गया है।
*उच्चतम न्यायालय का रुख*
उच्चतम न्यायालय इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और कहा है कि बुलडोजर की कार्रवाई से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा है कि अवमानना कार्रवाई की जा सकती है, अगर सरकार अदालत के आदेश का पालन नहीं करती है।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय का रुख स्पष्ट है कि बुलडोजर जस्टिस को सहन नहीं किया जाएगा और कानून के शासन का पालन किया जाएगा।