नई दिल्ली। मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। इससे पहले मामले को चीफ जस्टिस के सामने उठाया गया। सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने मैरिटल रेप के मामले पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि केस सुनवाई के लिए अक्सर सूचीबद्ध होता है लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हो पाती। इसकी कोई तारीख तय कर दी जाए।
वैवाहिक संबंधों में रेप को लेकर कोई नियम बनना चाहिए अथवा नहीं। इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से कोई राय जाहिर नहीं की गई है। इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे बढ़ने का फैसला लिया है।
अदालत का कहना है कि वह इस बात पर विचार करेगी कि मैरिटल रेप के आरोपों में पति को कानूनी प्रक्रिया से छूट मिलनी चाहिए अथवा नहीं। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में पूरी तरह से कानूनी मसले को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे। भले ही सरकार इस मामले में कोई स्टैंड न ले। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, ‘यह कानून का मामला है। यदि उन्होंने एफिडेविट नहीं दिया है, तब भी उन्हें कानूनी पहलू पर बात करनी होगा।’
दरअसल, याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने खंडित यानी अलग-अलग निर्णय सुनाया था।