नोएडा (उत्तर प्रदेश):- नोएडा प्राधिकरण ने बड़े बकायेदार बिल्डरों के मामलों की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है। 21 दिसंबर 2023 को जारी शासनादेश के तहत लिगेसी स्टाल्ड रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के समस्याओं के समाधान के प्रयासों के परिणामस्वरूप, 56 बिल्डर परियोजनाओं में से 22 बिल्डरों ने छूट के बाद 25 प्रतिशत धनराशि के रूप में कुल 275.72 करोड़ रुपये जमा किए हैं। 6 बिल्डरों की देयता पूरी तरह समाप्त हो गई है।
क्या है मामला :-
हालांकि, 28 बिल्डरों में से कुछ ने आंशिक रूप से धनराशि जमा की है, जबकि कुछ ने केवल सहमति जताई है। 8 बिल्डरों ने न तो सहमति दी है और न ही किसी राशि का भुगतान किया है। इसका उद्देश्य उन धनराशियों की पहचान करना है जो फ्लैट खरीदारों से बुकिंग के नाम पर लिए गए थे, लेकिन अन्य स्थानों पर डायवर्ट कर दिए गए। अमिताभकांत समिति की सिफारिशों के बावजूद, इन बिल्डरों ने प्राधिकरण का बकाया नहीं चुकाया, जिसके कारण हजारों फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री अटकी हुई है।
प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने हाल ही में बिल्डर-खरीदार मामले पर एक बैठक की, जिसमें प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी शामिल हुए। उन्होंने रजिस्ट्री की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट मांगी, जो दर्शाती है कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। बिल्डरों द्वारा न तो बकाया भुगतान किया गया है और न ही रजिस्ट्री की जा रही है, जिससे प्राधिकरण के सीईओ ने नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं।
आवंटन होना चाहिए निरस्त – प्राधिकरण..
जिन बिल्डरों ने अब तक कुल बकाया का 25 प्रतिशत जमा नहीं कराया है, ऐसे बिल्डरों पर प्राधिकरण कार्रवाई करेगा। इस बाबत आवंटन निरस्तीकरण के लिए प्राधिकरण ने सर्वे कराया है और इसमें तीन बिल्डरों के आवंटन निरस्तीकरण की फाइल तैयार की है। कुछ अन्य बिल्डरों की परियोजनाओं का सर्वे चल रहा है और बिना विकी संपत्ति की तलाश की जा रही है, ताकि आवंटन निरस्त करते हुए नीलामी आदि कराई जा सके।
रजिस्ट्री नहीं कराने वाले बिल्डरों नहीं उठा पाएंगे लाभ..
अमिताभकांत समिति की सिफारिशों के लागू होने के बाद 28 बिल्डर परियोजनाओं में 2558 फ्लैटों की रजिस्ट्री की मंजूरी मिली, लेकिन 3 सितंबर तक केवल 1298 रजिस्ट्री हुई। बिल्डर इसकी अलग-अलग वजह बताते हैं। कई का कहना है कि फ्लैट खरीदार किसी तरह का रिस्पांस नहीं दे रहे हैं। कई दूसरा बहाना बना रहे हैं। इसे देखते हुए प्राधिकरण ने मंगलवार को फैसला लेते हुए आदेश जारी किया कि जिन बिल्डरों ने 25 प्रतिशत राशि जमा कराई और फ्लैटों की रजिस्ट्री की मंजूरी मिली है, लेकिन वह रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से निर्माण रोके जाने के एवज में दी जा रही जीरो पीरियड के छूट का लाभ नहीं मिलेगा। हाल ही में प्राधिकरण ने इन बिल्डरों को यह लाभ देने की बात कही थी, लेकिन अब उस पर रोक लगा दी है। रजिस्ट्री कराए बिना लाभ नहीं मिलेगा।