फतेहपुर (उत्तर प्रदेश):- फतेहपुर जनपद के जिंदपुर टोल प्लाजा पर करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जरिए उजागर हुआ है। यह आरोप है कि टोल प्लाजा पर एकत्रित की गई धनराशि का सही तरीके से हिसाब नहीं रखा गया और इससे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। इस मामले में संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
वाहनों से ओवरलोड के नाम पर अवैध वसूली
जिंदपुर टोल पर अभी भी वाहनों से ओवरलोड के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है जबकि इस मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हो रही वसूली से पल्ला झाड़ लिया है। जिंदपुर टोल प्लाजा पर वाहनों से ओवरलोड के नाम पर अवैध वसूली की घटनाएं अभी भी जारी हैं, हालांकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस वसूली से खुद को अलग कर लिया है। यह दर्शाता है कि स्थानीय अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा अपने फायदे के लिए गलत तरीके से पैसे वसूले जा रहे हैं जबकि NHAI ने स्पष्ट किया है कि वे इस वसूली के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
इस तरह की अनियमितताएं प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करती हैं और ऐसी स्थिति में उचित जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि इस तरह की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
रोजाना लाखों रुपये की अवैध वसूली
जिंदपुर टोल प्लाजा पर रोजाना लाखों रुपये की अवैध वसूली हो रही है और यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। इस मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है लेकिन टोल प्लाजा पर जारी अवैध वसूली पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और किस तरह की कार्रवाई की जाती है।
जिला प्रशासन की भूमिका इस मामले में बेहद महत्वपूर्ण होगी क्योंकि यदि प्रशासन समय पर सही कदम उठाता है तो इस अवैध वसूली पर रोक लगाई जा सकती है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है। प्रशासनिक जांच और सख्त कार्रवाई ही इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं को रोकने में सहायक हो सकती है।
आगे की घटनाओं पर नज़र रखनी होगी कि जिला प्रशासन इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई करता है और अवैध वसूली को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।