भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।रेपो रेट 4 फीसदी पर रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थिर रहा है। MPC ने अपना अकोमोडिटिव रुख बरकरार रखा है। आपको बता दें कि पिछले साल (2020) के मार्च में RBI ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी और मई में 0.40 फीसदी की कटौती की थी। इन कटौतियों के बाद रेपो रेट 4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। आरबीआई ने रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा है हालांकि केंद्रीय बैंक ने फिस्कल इयर 2022 की तीसरी तिमाही के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान पहले के लगाए गए अनुमान 6.8 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने फिस्कल इयर 2022 की चौथी तिमाही के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.1 फीसदी से कम करके 6 फीसदी कर दिया है RBI गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक फिस्कल इयर 2022 के लिए खुदरा महंगाई दर का जो लक्ष्य है। वह 5.3 फीसदी पर कायम है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के झटकों से इकोनॉमी उबर रही है और इसमें तेजी आ रही है लेकिन यह लंबे समय तक कायम होती नहीं दिख रही है। शक्तिकांत दास के मुताबिक इकोनॉमिक रिकवरी लंबे समय तक बनी रहे इसके लिए पॉलिसी सपोर्ट जरूरी है। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश की घरेलू अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि उन्होंने इस बात का भरोसा दिलाया कि कोविड-19 जैसी समस्याओं से निपटने के लिए हमारा देश पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए हमारे पास एक ताकतवर बफर स्टॉक भी उपलब्ध है। शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल भुगतान पर शुल्क वसूलने के लिए एक चर्चा पत्र जारी करेगा। इससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में डिजिटल पेमेंट करने पर शुल्क के रूप में आपको अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि आरबीआई, यूपीआई आधारित फीचर फोन उत्पाद लॉन्च करने की तैयारी में भी लगा हुआ है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक आंकड़ों से खपत मांग के सुधरने के संकेत मिल रहे हैं। कृषि सेक्टर की मदद से ग्रामीण मांग में भी सुधार हो रहा है। पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट में कटौती से मांग में बढ़ोतरी की संभावना है। सरकार के इस फैसले से खरीदारी की क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है। आरबीआई ने कच्चे तेल की कीमतों में कटौती का भी संज्ञान लिया है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कंजप्शन डिमांड में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि OMO के जरिए जनवरी 2022 से लिक्विडिटी घटाने की कोशिश की जाएगी। गवर्नर ने कहा कि जनवरी, 2022 से लिक्विडिटी एडजस्टमेंट की योजना पर काम होगा।
रेपो रेट- रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, कार और गोल्ड लोन। रिवर्स रेपो रेट- जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। सीआरआर- देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल रकम का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं। एसएलआर- जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है। एमएसएफ- आरबीआई ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में सालाना मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में एमएसएफ का जिक्र किया था और यह कॉन्सेप्ट 9 मई 2011 को लागू हुआ। इसमें सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसद तक लोन ले सकते हैं। बैंकों को यह सुविधा शनिवार को अलावे हरेक वर्किंग डे में मिलती है।