दिल्ली से सटी विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन करीब एक साल से अधिक समय से जारी है। आंदोलन कर रहे किसानों की मुख्य मांगें तीनों कानूनों को वापस लेने की थी। केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को मानते हुए तीनों कानूनों को संसद के जरिए वापस ले लिया। इसके अलावा भी किसानों की कई मांगें लंबित थे। उनमें आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी पर गारंटी देने की मांग प्रमुख थी। केंद्र सरकार की ओर से किसानों को एक ड्राफ्ट भेजा गया है। ड्राफ्ट में सरकार ने पराली जलाने पर आपराधिक धाराएं खत्म करने की बात कही है।इसके अलावा हरियाणा और यूपी में किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी मामले वापस होंगे। दोनों राज्यों की सरकारों ने इस पर सहमति जताई है। इसके अलावा केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों में भी किसानों पर दर्ज सभी केस वापस होंगे। किसानों को सरकार का मसौदा पसंद आया। अब उन्होंने कल यानी आठ दिसंबर को विजय मार्च के साथ ही आंदोलन खत्म करने की घोषणा की है। आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 4 दिसंबर को सभी विरोध करने वाले किसानों की ओर से सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा बनने के लिए पांच लोगों का चयन किया। केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रमुख मांग को स्वीकार किए जाने के बाद भी किसानों के मुद्दों पर केंद्र के साथ चर्चा करने के लिए इस समिति का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के कारण दिल्ली से नोएडा के बीच सड़कों की नाकेबंदी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई जनवरी 2022 तक के लिए टाल दी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित कर दिया, जिन्होंने कहा कि उन्हें “हालिया घटनाक्रम” (तीन कृषि कानूनों को निरस्त) के मद्देनजर निर्देश लेने की जरूरत है। इस मामले में किसान संघों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने मामले की सुनवाई जनवरी में करने का अनुरोध किया।