सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- चितरंगी (मध्य प्रदेश) संत के दर्शन की इच्छा को मन में संजोए हुए उप जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने चितरंगी मध्य प्रदेश में जाकर संत अच्युतानंद जी महाराज का दर्शन ,पूजन एवं डेढ़ घंटे तक चले सत्संग और प्रवचन का भी लाभ उठाया।
संत अच्युतानंद जी महाराज ने बताया कि सिर्फ एक परमात्मा का चिंतन और अनन्य भक्ति से परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्व धर्म संसद में श्रीमद् भागवत गीता भाष्य यथार्थ गीता जो कि मानव धर्मशास्त्र है। इसे किसी भी देश, संप्रदाय, धर्म -जाति से परे इस धर्मशास्त्र को कोई भी पढ़ अथवा सुन सकता है। संत अच्युतानंद जी महाराज ने सत्संग के दौरान उपस्थित भक्तगणों को बताया कि “मन बन जा बैरागी”निकस कहूं हेर हरि के”जब आपके हृदय में दूसरों की सेवा परमार्थ और रक्षा करने का भाव है तो आप सभी के हृदय में दैवीय संपदा कार्य करने लगती है, तो आप ही देवता, इसके ठीक विपरीत दूसरों को परेशान करना, मारपीट करना, झगड़ा- फंसाद इत्यादि कार्य करने वाला मनुष्य ही आसुरी संपदा युक्त अर्थात राक्षस कहलाने लगता है अलग से कोई देवता या राक्षस होते ही नहीं।
बशर्ते हमारी श्रद्धा एक भगवान के प्रति पूर्णतया समर्पित होनी चाहिए। बहुमूल्य मानव तन की सार्थकता को धीरे-धीरे यूं ही समाप्त कर दे रहे हैं। विश्व धर्मशास्त्र रूपी यथार्थ गीता का प्रतिदिन एक श्लोक करने मात्र से ही एवं पूर्ण समर्पण के साथ भगवत कृपा की प्राप्ति कोई भी स्त्री -पुरुष प्राप्त कर सकता है। संत अच्युतानंद जी महाराज के सत्संग में पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी शेर बहादुर सिंह, बैढ़न कलेक्ट्रेट में नियुक्त अभय प्रताप सिंह, चितरंगी से रंगनाथ जायसवाल, लोहदा से लहुरमन केवट, केवटली से कप्तान सिंह चंदेल ,अंबिकेश सिंह चंदेल, महाबली जायसवाल सहित दर्जन भर गांव से तमाम भक्त सत्संग रूपी प्रवचन में उपस्थित रहे, सभी लोगों को संत अच्युतानंद जी महाराज ने बताया कि सत्संग के अंत में जग में ना बैरी कोई,जो मन शीतल होई, कहते हुए प्रवचन समाप्त किया, उपस्थित सभी लोगों ने महाराज जी का नवनिर्मित आश्रम स्थल देखा।