नागालैंंड में गलत सूचना और गलत पहचान के कारण पैरा-एसएफ के ऑपरेशन में मजदूरों मारे गए| जिसके बाद पैरा-एसएफ कमांडोज़ पर मजूदरों के शवों को छिपाने की कोशिश करने और घटनास्थल से भागने की कोशिश के आरोप लगाए गए जिसको अब सेना सूत्रों ने खारिज कर दिया है| सूत्रों के मुताबिक पैरा-एसएफ की 21 यूनिट (21 पैरा) की टीम ने गलत ऑपरेशन के बाद भी घटनास्थल पर करीब तीन दो-तीन घंटे तक रही थी| ऑपरेशन को 21 पैरा के एक मेजर रैंक के अफसर नेतृत्व कर रहे थे| उनके साथ करीब एक दर्जन पैरा-एसएफ कमांडोज़ और ‘गाइड’ भी मौजूद थे| दरअसल असम में तैनात इस 21 पैरा टीम को सटीक खुफिया जानकारी दी गई थी कि एक गाड़ी में हथियारों से लैस एनएससीएन (केवाईए) ग्रुप के आठ उग्रवादी सवार हैं| जिस बोलेरो गाड़ी पर पैरा कमांडोज़ ने फायरिंग की उसमें भी आठ मजदूर सवार थे और उनके पास भी एक बैरल-गन थी और इसे देखकर ही सूत्रों की मानें तो कमांडोज़ ने उनपर फायरिंग की थी| गलत खुफिया सूचना और गलत पहचान के कारण खराब हुए ऑपरेशन में पैरा-एसएफ कमांडोज़ ने बोलेरो पिक अप वैन में सवार आठ में से छह लोगों को मार गिराया था| बाकी दो मजदूर जो घायल हुए थे उन्हें इसी पैरा एसएफ टीम ने अस्पताल पहुंचाया था| इस दौरान मेजर ने अपने कमांडिंग ऑफिसर से फोन पर बात कर पूरी घटना की जानकारी दी तो सीओ ने वहीं रुककर पुलिस के पहुंचने तक इंतजार करने के लिए कहा| सूत्रों की मानें तो पुलिस तो नहीं पहुंची लेकिन उग्र भीड़ वहां पहुंच गई| ये भीड़ नागा समुदाय के दाओ और मज़ल-लोडर जैसे पारंपरिक हथियार से लैस थी|
मेजर ने भीड़ को समझाने की कोशिश लेकिन वहां मौजूद लोगों ने पैरा एसएफ की गाड़ियों में आग लगा दी और कमांडोज़ पर हमला कर दिया| इस हमले में एक कमांडो की गर्दन काट दी गई जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई| इसके बाद कमांडोज़ ने उग्र भीड़ पर फायरिंग खोल दी. इस फायरिंग में 07 लोगों की जान चली गई| लेकिन भीड़ के हमले में मेजर गंभीर रूप से घायल हो गए| जानकारी के मुताबिक मेजर घायल होने के चलते आईसीयू में भर्ती हैं और 13 अन्य कमांडो चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती हैं| विश्वसनीय सूत्रों ने उन रिपोर्ट्स को ये खारिज कर दिया कि वे एक-पक्षीय हैं और सेना का वर्जन उनमें नहीं हैं|