मैनपुरी:- मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी में सबसे बड़ी असमंजस ये थी कि मैनपुरी लोकसभा सीट से किसे उपचुनाव लड़ाया जाए। साल 2022 की बात है, जब उत्तर प्रदेश की मैनपुरी, रामपुर और आजमगढ़ सीट के लिए उपचुनाव कराए गए।
दरअसल, अखिलेश ने विधानसभा चुनाव के बाद आजमगढ़ सीट छोड़ दी थी। रामपुर के सांसद आजम खान को सजा हो गई, जिसके चलते उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी। मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी में उपचुनाव हो रहे थे। तब अखिलेश ने रामपुर से मोहम्मद आसिम रजा को टिकट दिया, आजमगढ़ से अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उतारा और सपा की सबसे सेफ सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया।
पिता की विरासत अखिलेश ने पत्नी को दे दी
मुलायम सिंह के निधन के बाद इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि मैनपुरी से किसे चुनाव लड़ाया जाए। राजनीतिक हलचलों के बीच अखिलेश ने अपनी पत्नी के नाम का ऐलान कर दिया। डिंपल के इस सीट से सांसद चुने जाने से पहले मुलायम के अलावा लालू के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव, अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव भी सांसद रहे। चूकि डिंपल को 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से हार झेलनी पड़ी थी, इस वजह से उनके लिए उनके पति ने सपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली मैनपुरी से मैदान में उतार दिया।
इन बड़ी चुनौतियों का सामने करेंगी डिंपल यादव
2014 के चुनाव में डिंपल यादव ने कन्नौज से जीत हासिल कर ली थी, लेकिन 5 सालों में कन्नौज की जनता शायद उनसे रूठ गई। सपा का गढ़ रहा कन्नौज में 2019 में पार्टी को हार झेलनी पड़ी। सवाल ये है कि कहीं मैनपुरी की जनता भी तो डिंपल से दो सालों में रूठ तो नहीं गई है, इसका फैसला तो कुछ घंटो में हो जाएगा। डिंपल के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को बचाने की है। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है उनके कांधों पे।
मैनपुरी को सपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। 1996 के बाद से इसमें सेंधमारी कर पाने में कोई भी सियासी पार्टी कामयाब नहीं हो सकी है। मुलायम की मौत के बाद डिंपल इस सीट से चुनी गईं। लेकिन इस बार चुनावी समीकरण थोड़ा अलग है। डिंपल के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि वो इस सीट को जीत सकें, समाजवादी पार्टी का गढ़ बचा सकें, क्योंकि सपा को यदि यहां से हार नसीब हुई तो जगहंसाई होनी तय है।
मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतरगत कुल पांच विधानसभाएं आती हैं। जिनमें मेनपुरी, भोंगाव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल है। इसमें से तीन विधानसभाओं पर सपा का कब्जा है, जबकि दो पर भाजपा ने 2022 में जीत हासिल की थी। मैनपुरी विधानसभा सीट से विधायक जयवीर सिंह इन बार डिंपल यादव के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। अब ये देखना होगा कि कुछ ही घंटे बाद आने वाले नतीजों में किसकी लंका लगती है और किसका डंका चारो ओर बजता है।
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