नई दिल्ली:- प्रधानमंत्री आवास पर बिल गेट्स के साथ बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “जब मैं इंडोनेशिया में भी जी-20 में गया था तब दुनिया के सभी देशों की उत्सुकता थी कि आप ने डिजिटल रिवॉल्यूशन कैसे लाया है। तब मैं उनको समझाता था कि मैंने इस तकनीक को प्रजातांत्रिक बना दिया है। इसपर किसी का एकाधिकार नहीं रहेगा। ये जनता का होगा, जनता के द्वारा होगा और जनता में उभरती हुई प्रतिभा इसमें मूल्य संवर्धन करेगी। जिससे आम जनता का इसपर भरोसा बनेगा। ”
2 लाख आय़ुष्मान आरोग्य मंदिर गांवों में बनाएं
स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा, मैंने 2 लाख आय़ुष्मान आरोग्य मंदिर गांवों में बनाएं। मैं स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक प्रौद्योगिकी से श्रेष्ठ अस्पतालों के साथ जोड़ देता हूं। पहले शुरूआत में उन्हें लगता था कि डॉक्टर तो है नहीं मुझे देखे बिना कैसे बताता है? लेकिन बाद में उन्हें समझ आया कि तकनीक की मदद से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठा डॉक्टर भी उन्हें सही निदान दे रहा है। लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। जितना बड़े अस्पताल में होता है उतना ही छोटे आरोग्य मंदिर में हो रहा है। ये डिजिटल प्लेटफॉर्म का कमाल है। मैं बच्चों तक श्रेष्ठ शिक्षा पहुंचाना चाहता हूं। शिक्षक की जो कमियां हैं मैं उसे तकनीक से भरना चाहता हूं। दूसरा बच्चों की रूचि दृश्यों में और कहानी सुनाने में है। मैं उस तरह की सामग्री बनाने की दिशा में काम कर रहा है। हमारे यहां कृषि क्षेत्र में भी मैं बहुत बड़ी क्रांति ला रहा हूं और मैं लोगों की मानसिकता बदलना चाहता हूं।
मुझे तो चैटजीपीटी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए
अगर हम AI को एक मैजिक टूल के रूप में करेंगे तो बहुत बड़ा अन्याय होगा, AI का इस्तेमाल अपने आलसीपन को बचाने के लिए करता हूं तो ये गलत रास्ता है। मुझे तो चैटजीपीटी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। मैं AI से आगे जाने की कोशिश करूंगा। AI का महत्व बहुत है और मैं तो कभी-कभी मजाक में कहता हूं कि हमारे यहां, भारत के बहुत से राज्यों में ‘माँ’ को आई भी बोलते हैं। अब मैं कहता हूं कि जब हमारे यहां बच्चा पैदा होता है तो आई भी बोलता है AI भी बोलता है। मैंने G20 में AI का बहुत उपयोग किया। मैंने G20 के परिसर में भाषा व्याख्या की व्यवस्था AI से की।
महिलाएं तुरंत नई तकनीक को अपनाती हैं
जब मैं दुनिया में डिजिटल डिवाइड की बात सुनता था तो सोचता था कि मैं अपने देश में ऐसा कुछ नहीं होने दूंगा। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर अपने आप में एक बड़ी जरूरत है। महिलाएं तुरंत नई तकनीक को अपनाती हैं। मैंने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना शुरू की है। यह योजना बहुत सफलतापूर्वक चल रही है। मैं इन दिनों उनसे बातचीत करता हूं, वे खुश हैं। वे कहती हैं कि हमें साइकिल चलाना नहीं आता था, अब हम ड्रोन उड़ा रही हैं, हम पायलट बन गई हैं।
मिट्टी से मैंने एक यूनिटी वॉल बनाई
मैंने हिंदुस्तान के 6 लाख गांवों के किसानों से लोहे का टुकड़ा इकट्ठा किया, उसे पिघलाया और उसका स्टेचू में उपयोग किया है। मैं हर गांव से मिट्टी लाया। उस मिट्टी से मैंने एक यूनिटी वॉल बनाई है। हिंदुस्तान के 6 लाख गांवों की मिट्टी उसमें है। उसके पीछे हमारी एकता की भावना है। हमने इतने बड़े देश की विविधताओं के बीच में एकता कैसे बना ली, उसे दर्शाने के लिए मैंने ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण किया। ये दुनिया का सबसे ऊंचा स्टेचू है जिसे कम से कम समय में बनाया गया है।
मैंने लोगों को प्रशिक्षित करने पर बल दिया कि वायरस के खिलाफ ये लड़ाई हम सब की है। ये वायरस बनाम सरकार की नहीं, वायरस बनाम जीवन की लड़ाई है। मैं पहले दिन से सीधे तौर पर अपने देशवासियों से बातचीत करने लगा और सार्वजनिक तौर पर सभी प्रोटोकॉल फोलो करने लगा। मुझे लोगों को विश्वास में लेना था कि हमें ये लड़ाई साथ में लड़नी है। ये एक प्रकार का जन आंदोलन बन गया। डंडे से काम नहीं होता, आप लोगों को शिक्षित कीजिए, विश्वास दिलाइए और उन्हें साथ लेकर चलें। इस कारण मुझे वैक्सीन में बहुत बड़ी सफलता मिली।