नई दिल्ली :- बसंत पंचमी का त्यौहार हर वर्ष पूरे देश में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और यह त्यौहार वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। वसंत पंचमी को पूरे देश में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है और मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन वे प्रकट हुईं थीं जिसके कारण इस दिन देवी सरस्वती की पूजा होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसान यह कहा जाता है कि इस दिन देवी सरस्वती की आराधना करने से देवी सरस्वती अपने भक्तों को विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आइये जानते हैं कि साल 2024 में कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी।
बंसत पंचमी के त्यौहार का पूरे देश के हिंदूओं के लिए बहुत ही महत्त्व होता है। इस दिन पूरे देश में बहुत से पूजा अनुष्ठान किये जाते हैं और माँ सरस्वती की आराधना की जाती है। लोग इसदिन पवित्र नदियों पर जाकर स्नान करते हैं और दान पुन्य भी करते हैं। आइये जानते हैं कब है बसंत पंचमी
कब है वसंत पंचमी 2024
हिन्दू पंचांग के हिसाब से बसंत पंचमी हर वर्ष माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होती है। इस वर्ष पंचमी की शुरुआत 13 फरवरी दोपहर 02: 41 से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 14 फरवरी दोपहर 12: 09 पर समाप्त होगी। हिन्दू संकृति में त्यौहारों को उदया तिथि में मनाए जाने की मान्यता है इसलिए इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी।
वसंत पंचमी 2024 पूजा मुहूर्त
बसंत पंचमी के दिन हर व्यक्ति पूजा करता है और माँ सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करने की प्रार्थना करना है। यह पूजा मुहूर्त के अनुसार की जाती है। इस वर्ष 14 फरवरी को वसंत पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 07:01 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा। इस बीच में आप माँ सरस्वती की पूजा आराधना कर सकते हैं और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
बसंत पंचमी 2024 पूजा विधि
बसंत पंचमी वसंत के आगमन का प्रतीक है। बसंत पंचमी से जुड़ी पूजा पद्धतियां अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हैं, लेकिन सामान्य प्रथाओं में ज्ञान, बुद्धिमत्ता, संगीत और कला की देवी देवी सरस्वती का सम्मान करना शामिल है। भक्त अक्सर जल्दी उठकर स्नान करते हैं, वसंत की जीवंतता का प्रतीक पीले कपड़े पहनते हैं और घरों, मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती की पूजा करते हैं। लोग फूलों, धूप और मिठाइयों से सजी वेदियाँ स्थापित करते हैं, और देवी के पास किताबें, कलम और संगीत वाद्ययंत्र प्रसाद के रूप में रखते हैं और शिक्षा और कलात्मक प्रयासों में सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। छात्र अक्सर उत्सव के हिस्से के रूप में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
इसके अलावा पतंग उड़ाना बसंत पंचमी से जुड़ी एक लोकप्रिय परंपरा है, जो मौसम की स्वतंत्रता और खुशी का प्रतीक है। लोग छतों और खुले मैदानों में इकट्ठा होते हैं, रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं और मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।