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जल्द ही भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक संसद में किया जाएगा पेश

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग :- भारत में एकल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित करने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (हायर एजुकेशन कमिशन) विधेयक जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। इस प्रस्तावित कमिशन की अनेक प्रमुख भूमिकाएं होंगी।

जिसमें एक्रेडिटेशन, प्रोफैशनल और स्टैंडर्ड को बनाए रखना शामिल होगा। उच्च शिक्षा संस्थानों की फंडिंग के अधीन नहीं होगी। फंडिंग की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहेगी। उच्च शिक्षा सुधारों को लेकर आजादी के बाद यह एक अलग तरीके की पहल है जिसकी विवेचना की जानी चाहिए।

यह समस्त उच्च शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के लिए उत्सुकता भरा विषय बनने वाला है। उच्च शिक्षा की रैगुलेशन को लेकर इस समय 3 प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं। पहली भूमिका नियामक की है, जो इस समय यू.जी.सी. (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) करता है दूसरी भूमिका 2 स्तरों पर मान्यता है : पहले स्थान पर कॉलेजों इत्यादि की मान्यता, और दूसरे कार्यक्रमों तथा पाठ्यक्रमों की मान्यता है तीसरे स्थान पर क्या पढ़ाया जाएगा और कैसे पढ़ाया जाएगा, इसके बारे में पेशेवर मानक तय करना है।

ध्यान योग्य है कि उच्च शिक्षा कमिशन को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) में प्रस्तावित किया गया है। इस नए उच्च शिक्षा कमिशन की अहमियत क्यों है, इस पर गहनता पर विचार होना चाहिए। एक बड़े शैक्षणिक मंथन से यह बात सामने आ रही है कि वर्तमान में उच्च शिक्षा से जुड़ी रैगुलेटरी अथॉरिटीका लंबे समय से एक बड़े ताल मेल के अभाव में काम कर रही है यह इस समय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर वांछित नतीजे दे पाने में असहजता से जूझ रही है इनके तोड़ के रूप में हायर एजुकेशन कमिशन सिंगल नियामक संस्था होगी जो केंद्रीय, निजी तथा डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए सभी प्रकार के नियम तय करेगी। अब तक यह काम मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किए जाते थे।

प्रस्तावित कमिशन उच्च शिक्षण संस्थानों को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करेगा कि वे शिक्षा, शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों का विकास करें। यह कमिशन एक राष्ट्रीय डाटा बेस के माध्यम से आयोग ज्ञान के नए उभरते क्षेत्रों में हो रहे विकास और सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों के संतुलित विकास विशेषकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रोत्साहित करने से संबंधित सभी मामलों की निगरानी करेगा। नए प्रस्तावित कमिशन से उच्च शिक्षा संस्थानों पर अपनी गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयत्न करने का दबाव बना रहेगा। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इस समय हमारे गिने-चुने उच्च शिक्षा संस्थान ही अंतर्राष्ट्रीय मानदंड पर ठीक उतर पा रहे हैं इससे हमारे उच्च शिक्षा के चाहवान छात्र बेहतर शिक्षा के लिए विदेश का रुख करते हैं और देश को इससे करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा का नुक्सान हो रहा है।

इस संबंध में नए नियामक को संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता तय करने का अधिकार होगा। कमिशन को शिक्षा संबंधी कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति देने संबंधी अधिकार होंगे और कानून का पालन न किए जाने पर किसी संस्थान को दी गई अनुमति रद्द करने का भी अधिकार होगा। प्रस्तावित कमिशन के अधिकार क्षेत्र में होगा कि छात्रों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम स्टैंडर्ड न रख पाने की सूरत में कमिशन शिक्षा संस्थानों को बंद करने का भी प्रस्ताव दे दे। कमिशन के इस अधिकार का विरोध हो सकता है लेकिन घटिया शिक्षा देने वाले संस्थानों पर नकेल डालने हेतु यह एक छात्र हित कदम होगा, इसके साथ ही हमें इस बात को यकीनी बनाना होगा कि प्रस्तावित कमिशन की करगुजारी से समाज के निचले और गरीब तबके के छात्रों के उच्च शिक्षा से जुड़े अधिकार सुरक्षित रहें।

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