जयपुर (राजस्थान):- विवाद में छह दिन पहले चिड़ावा एसडीएम की ओर से दिए गए छह साल के बेटे जतिन को उसकी मा को सौंपने के आदेश को अपर जिला एवं सेशन झुंझुनू -2 ने पलट दिया है। कोर्ट ने अब बच्चे को उसके पिता को सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए चिड़ावा एसडीएम व सुरजगढ़ पुलिस को निर्देश दिए है कि उसको अविलंब पिता हरियाणा निवासी प्रीतसिंह को सौंपा जाए। इसकी पालना में बच्चे को पिता को सुपुर्द कर दिया गया। मामले के अनुसार हरियाणा के खापड़वास निवासी प्रीत सिंह 25 जनवरी को सूरजगढ़ का दौरा करने के बाद घर पहुंचे, राजस्थान के कुछ गांवों में पिता और पुत्र की एक मुलाकात करने के लिए हम जो भी अधिकार प्राप्त कर सकते थे, उससे मुलाकात कर रहे थे।
एनसीएमइंडिया काउंसिल फॉर मेन अफेयर्स से आई एंड के डी झा इस व्याकुल पिता की मदद करने की उम्मीद के साथ ही सुबह निकल गए, जिनके बेटे से अलग होने के वीडियो ने एक वायरल वीडियो में हमारा दिल तोड़ दिया।
हमने नहीं सोचा था कि हम उसे उसके बेटे से मिलवा पाएंगे, लेकिन इतनी दयालु आत्माओं की मदद से, यह एक वास्तविकता बन गई।
प्रीत जी आज अपने बेटे जतिन से मिले और पुलिस की मौजूदगी में उनके साथ समय बिताया। वे गले मिले, उन्होंने बात की और वे मुस्कुराए। एसडीएम चिड़ावा द्वारा पारित गलत कस्टडी आदेश एडीजे सूरजगढ़ ने पलटा।
जतिन के वापस आते ही प्रीत सिंह जी ने फोन किया। यह बहुत व्यक्तिगत लगता है। अच्छी तरह से लड़ा … एडवोकेट राजेश डल्ला और सभी शोध हमने इस मामले को किया। जतिन बहुत खुश था।
मैं खुश हूं चूंकि मुझे इस मामले के बारे में बहुत कुछ पता चला है, इसलिए बेटी भी मेरे दिमाग में है और मैं देखूंगा कि इसके बारे में भी सबसे अच्छा क्या किया जा सकता है।
आपको बता दें कि यह प्रयास दीपिका नारायण भारद्वाज के कारण ही संभव हो सका है। दीपिका नारायण भारद्वाज फिल्म डायरेक्टर हैं जिन्होंने इस मामले को संज्ञान में लेकर इस पर कड़ी सुनवाई कराकर बेटे को पिता के हवाले करवाया। दीपिका नारायण भारद्वाज एक समाज सेवी हैं और वे समाज में पुरुषों के प्रति होने वाले दुर्व्यवहार को लेकर हमेशा कार्यरत रहती हैं। उनका प्रयास रहता है कि किसी भी व्यक्ति के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो।