नई दिल्ली:- दिल्ली विधानसभा चुनाव के माहौल में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर राजनीतिक हमलों के घेरे में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस दोनों ही नेताओं ने केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों ने चुनावी दृश्य को और भी गर्म कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक रैली के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) और उनके नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए उन्हें ‘धोखेबाज’ और ‘झूठे’ करार दिया। पीएम मोदी ने विशेष रूप से केजरीवाल सरकार के द्वारा किए गए शीशमहल निर्माण को निशाना बनाया। उन्होंने इसे ‘झूठ और धोखे का प्रतीक’ बताया और आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के जरिए दिल्लीवासियों के विश्वास को तोड़ा है। उनके अनुसार शीशमहल के निर्माण से यह साफ जाहिर होता है कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने जनता के पैसे का गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
“शीशमहल” एक आलीशान कार्यालय भवन है जिसे दिल्ली सरकार ने अपनी कार्यशैली को बेहतर बनाने के लिए बनाया था। मोदी ने इस भवन को लेकर कहा कि यह ‘शाही महल’ की तरह है जबकि दिल्ली की आम जनता महंगाई और बुनियादी सुविधाओं के संकट से जूझ रही है। उनका तर्क था कि इस तरह के विशाल खर्च से यह साबित होता है कि केजरीवाल और उनकी सरकार ने जनता के मुद्दों की अनदेखी की है और केवल अपनी छवि बनाने की ओर ध्यान दिया है।
वहीं, कांग्रेस ने भी केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद दिल्ली में भ्रष्टाचार बढ़ा है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने चुनावी वादों से मुंह मोड़ लिया और सत्ता में आने के बाद अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रही है। पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में बिजली, पानी और शिक्षा के मुद्दों पर केजरीवाल सरकार को घेरा और कहा कि इन मुद्दों पर केवल घोषणाएं की गईं परंतु धरातल पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।
इन आरोपों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी को राजनीतिक दांव और भ्रामक करार दिया है। AAP ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो विकास कार्य किए हैं वे दिल्लीवासियों के हित में हैं और शीशमहल जैसे आरोप केवल चुनावी रोटियां सेंकने के लिए लगाए जा रहे हैं। पार्टी का कहना है कि पीएम मोदी और कांग्रेस केवल अपनी हार को देखते हुए बयानबाजी कर रहे हैं जबकि दिल्ली में वास्तव में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ है।
यह स्थिति चुनावी माहौल को और अधिक जटिल बना रही है क्योंकि दिल्ली के नागरिकों के बीच इन आरोपों और काउंटर-आरोपों को लेकर बहस तेज हो गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में जनता इन आरोपों को किस हद तक सही मानती है और उसका मतदान प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भविष्य में और भी गहरा हो सकता है क्योंकि सभी प्रमुख दल अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं।