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मुलायम सिंह यादव के करीबी नेता आलमबदी की ईमानदारी की मिसाल

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश):- मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। हालांकि अब वह हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कई अहम घटनाएं आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं। आज हम मुलायम सिंह यादव से जुड़े एक खास किस्से की बात करेंगे जो उनके करीबी नेता आलमबदी से जुड़ा हुआ है। आलमबदी का नाम समाजवादी पार्टी के एक ईमानदार और सादगीपूर्ण नेता के रूप में लिया जाता है और उन्होंने पार्टी में अपने आचरण से महत्वपूर्ण स्थान बनाया।

आलमबदी का जन्म 16 मार्च 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था। वह शिक्षा में इंटरमीडिएट तक ही सीमित रहे लेकिन उन्होंने इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। आलमबदी ने अपने जीवन की शुरुआत में ही राजनीति में कदम रखा और 1996 से निजामाबाद निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह समाजवादी पार्टी के सदस्य थे और उत्तर प्रदेश की 13वीं, 14वीं, 16वीं और 17वीं विधानसभा के सदस्य रहे। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज को 34,187 वोटों के अंतर से हराकर अपनी सीट पर कब्जा जमाए रखा।

मुलायम सिंह यादव से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है जब चुनावी माहौल के दौरान दिल्ली में एक मौलाना टिकट की मांग लेकर आए थे। वह तीन बसों में मौलानाओं को लेकर आए थे और बाहर खड़े थे। नेताजी ने देखा और तुरंत ही समझ गए कि मामला क्या है। नेताजी ने मजाक करते हुए कहा इतने लोगों के साथ आए हो, बहुत बड़ा नेता बन रहे हो और उन्हें वापस भेज दिया। नेताजी ने यह भी कहा था कि जब तक पार्टी ऐसे नेताओं को टिकट देती रहेगी तब तक कार्यकर्ता खुद को इससे जोड़ नहीं पाएंगे।

आलमबदी का नाम हमेशा सादगी और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। मुलायम सिंह यादव भी उनके इस व्यक्तित्व से प्रभावित थे और उन्होंने कभी भी आलमबदी को पार्टी टिकट लेने के लिए बाहर नहीं आने दिया। पार्टी खुद उनके घर टिकट भेज देती थी। आलमबदी की यह सादगी और ईमानदारी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है। उनके कार्यों और सिद्धांतों ने पार्टी के विकास में अहम भूमिका निभाई और उन्हें एक आदर्श नेता बना दिया।

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