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पलटे जाएंगें 49 साल पहले लगी इमरजेंसी के इतिहास के पन्ने, सभापति धनखड़ ने सरकार को दिए निर्देश

नई दिल्ली:- सदन में बीजेपी की ओर पूर्व की इंदिरा गांधी सरकार के दौरान वर्ष 1975 में लगी इमरजेंसी लगातार सवालों के बीच सदन से बड़ा अपडेट आया है। सदन की कार्यवाही के दौरान उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने को कहा है, जिसमें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 25- 26 जून, 1975 की रात इमरजेंसी लगाने का निर्णय के बाद के हालात के रिपोर्ट केंद्र को सौंपी गई।

 

संविधान हत्या दिवस के केंद्र के निर्णय पर दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के इनकार के बाद सदन में एक बार फिर पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लगी इमरजेंसी का मामला गरमाने जा रहा है। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही के दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्र को एक निर्देश दिया। जिसमें उन्होंने इमरजेंसी से पहले तत्कालीन इंदिरा सरकार को भेजी गई शाह कमेटी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने को कहा।

 

बता दें कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल (1975-77) की ज्यादतियों की जांच के लिए भारत सरकार द्वारा शाह आयोग की नियुक्ति की गई थी। ऐसे में धनखड़ ने कहा, रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले दौर से संबंधित है; सरकार को प्रामाणिक रिपोर्ट की जांच करनी चाहिए और इसे सदन के पटल पर रखना चाहिए।

 

बता दें कि वर्ष 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान ज्यादतियों को लेकर शाह आयोग की रिपोर्ट को सदन पर मे पेश की गई थी। जिसमें इमरजेंसी से देश पर पड़े प्रभाव को जानने के लिए अहम माना जाता है। आरोप है कि इमरजेंसी के बाद जब साल 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सरकार फिर से बनी तो शाह आयोग की रिपोर्ट को नष्ट कर दिया गया। लेकिन शाह आयोग की रिपोर्ट की एक प्रति आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पुस्तकालय में उपलब्ध है।

 

धनखड़ ने सरकार से संज्ञान लेने को कहा

धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि शाह आयोग ने लोकतंत्र के सबसे काले दौर की जांच की थी। शाह आयोग की रिपोर्ट 1975 में देश में लागू किए गए आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों से संबंधित है। उप राष्ट्रपति धनखड़ ने झारखंड से भाजपा सांसद दीपक प्रकाश के इस मुद्दे को उठाने को लेकर सरकार को मामले का संज्ञान लेने को कहा। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से सदन के सदस्यों और जनता को बढ़े स्तर पर लाभ होगा।

 

दरअसल, राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान झारखंड से भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने शाह आयोग की रिपोर्ट का मामला उठाया था। इस पर सभापति धनखड़ ने भी समर्थन दिया और कहा, सरकार को (शाह आयोग की) प्रामाणिक रिपोर्ट हासिल करने और सांसदों और आम जनता के फायदे के लिए शाह आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की संभावना तलाशनी चाहिए।

 

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