वाराणसी :- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की मान्यता के नियम में संशोधन होने जा रहा है। इसके तहत माध्यमिक स्तर पर भी कला, साइंस व कॉमर्स वर्ग का बंधन समाप्त होगा। यही नहीं कला के विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित पढ़ने की भी आजादी होगी। इस नए नियम के लिए बाकायदा उत्तर प्रदेश मान्यता बोर्ड संशोधन करने जा रहा है। इससे अगले सत्र से पूरे प्रदेश के विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किया जा सके।
यू.पी. बोर्ड मान्यता के नियम में संशोधन
• कला, साइंस व कॉमर्स वर्ग का बंधन समाप्त होगा।
• नई शिक्षा नीति से हाई स्कूल में इंटर की परीक्षाएं।
• अब मनपसंद विषय पढ़ सकेंगे यू.पी. बोर्ड के छात्र।
• आर्ट के स्टूडेंट्स भी पढ़ सकेंगे विज्ञान – गणित।
अब मनपसंद विषय पढ़ सकेंगे यू.पी. बोर्ड के छात्र :-
वर्ष 2026 में हाई स्कूल में इंटर की परीक्षाएं नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रमों के आधार पर ली जाएंगी। इसको लेकर के बाकायदा उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के लोग रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसके तहत सीबीएसई के पूर्व निदेशक अशोक गांगुली ने कहा कि माध्यमिक स्तर पर नई शिक्षा नीति लागू किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को एक नए कौशल के साथ विकसित किया जा सके और उन्हें एकेडमिक के साथ रोजगार प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराई जा सके।
50 घंटे का होगा विशेष प्रशिक्षण:-
आगे उन्होंने बताया कि शासन ने नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए सभी शिक्षकों को 50 घंटे का विशेष प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत जल्द की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों के कौशल को विकसित करना है। जिससे उनको रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएंगे।
प्रांतीय सम्मेलन में बनी रणनीति:-
वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद की क्तप्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। वहां पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के तहत माध्यमिक शिक्षा की रणनीति विषय पर एक संगोष्ठी हुई थी। इसमें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा हुई और इस दौरान किस तरीके से इसे विद्यालयों में लागू किया जाए, इसकी रणनीति पर मंथन किया गया। इस दौरान पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के जरिए सभी विद्यालय के प्रधानाचार्य को नई शिक्षा नीति को समझने का प्रयास किया गया।
नई शिक्षा नीति संग विद्यालयों के संसाधन पर भी सरकार दे ध्यान। इस सम्मेलन में जहां नए नियमों की चर्चा हुई तो वहीं माध्यमिक विद्यालय में संसाधनों के अभाव को लेकर के भी प्रधानाचार्यों ने बात रखी। उन्होंने कहा कि नई नीतियों को लागू करना उचित है। विद्यालयों में संसाधनों का बेहतर होना भी जरूरी है। उनका कहना है कि माध्यमिक विद्यालयों में शुल्क के नाम पर कुछ भी नहीं है और सरकार भी संसाधन उपलब्ध नहीं कर रही है। ऐसे में हर प्रधानाचार्य के सामने नई शिक्षा नीति को लागू करना अपने आप में बड़ी चुनौती होगी।
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