नई दिल्ली :- भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की ताजा समीक्षा बैठक में आम लोगों को बड़ी राहत दी है। इस बैठक के दौरान रेपो रेट में पचास आधार अंकों की कटौती की गई है। इस फैसले का सीधा असर उन करोड़ों लोगों पर पड़ेगा जो होम लोन कार लोन या अन्य तरह के लोन चुका रहे हैं। यह इस साल की अब तक की दूसरी बड़ी कटौती है जिससे कुल मिलाकर सौ आधार अंकों की कमी दर्ज की जा चुकी है।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। जब रेपो रेट घटती है तो बैंक सस्ता कर्ज देने में सक्षम हो जाते हैं जिससे लोन की ब्याज दरें भी घट जाती हैं और सीधे तौर पर आपकी ईएमआई कम हो जाती है।
अगर आपके ऊपर बीस लाख रुपये का होम लोन चल रहा है जिसकी अवधि बीस वर्ष है तो पचास आधार अंकों की कमी के बाद आपकी मासिक किस्त में लगभग सात सौ रुपये तक की कमी आ सकती है। इसका मतलब है कि पूरे लोन अवधि में आप एक लाख साठ हजार रुपये तक की बचत कर सकते हैं।
यह कटौती सिर्फ नई लोन लेने वालों के लिए नहीं है बल्कि जिनके लोन रेपो रेट से जुड़े हैं उन्हें भी इसका लाभ स्वतः मिल जाएगा। हालांकि कुछ पुराने लोन फिक्स्ड रेट पर आधारित होते हैं जिन पर यह लाभ तुरंत नहीं मिलता। ऐसे लोग अपने बैंक से संपर्क कर फ्लोटिंग रेट पर शिफ्ट होने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महंगाई नियंत्रित रही तो आने वाले समय में रेपो रेट में और भी कटौती संभव है जिससे लोन लेना और भी सस्ता हो जाएगा। यह स्थिति रियल एस्टेट सेक्टर को भी प्रोत्साहित करेगी और मकान खरीदने वालों की संख्या में इजाफा होगा।
इस कदम का लाभ सिर्फ होम लोन तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि एजुकेशन लोन पर्सनल लोन और वाहन लोन की ईएमआई भी कम हो सकती है जिससे लोगों की मासिक बचत बढ़ेगी और खर्च करने की क्षमता में सुधार आएगा।
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि आरबीआई मौद्रिक नीति को लचीला बनाकर अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में अग्रसर है। लोगों को चाहिए कि वे अपने मौजूदा लोन की ब्याज दर की समीक्षा करें और जहां संभव हो वहां कम ब्याज दरों का लाभ उठाएं।अब जब रेपो रेट में गिरावट दर्ज हो चुकी है तो यह समय है होम लोन प्लानिंग को दोबारा सोचने का और ज्यादा समझदारी से वित्तीय फैसले लेने का।