अमृतसर:- भारतीय इतिहास का वह काला अध्याय, जिसे ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के नाम से जाना जाता है, आज भी पंजाब की राजनीति और सामाजिक तानेबाने में गूंजता है। 41 साल बाद भी उस दर्दनाक अभियान की यादें अमृतसर की पवित्र धरती पर ताज़ा हो जाती हैं। इस वर्ष भी, जब ऑपरेशन की बरसी मनाई गई, तो अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेंपल) में एक बार फिर राजनीतिक और वैचारिक उबाल देखा गया।
शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान इस मौके पर स्वर्ण मंदिर पहुंचे। उनके साथ मौजूद समर्थकों ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए, जिससे माहौल कुछ समय के लिए तनावपूर्ण हो गया। हालांकि, सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखा और किसी तरह की झड़प या हिंसा की कोई खबर सामने नहीं आई।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 से 10 जून 1984 के बीच भारतीय सेना द्वारा अमृतसर में किया गया सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे चरमपंथियों और उनके नेता संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले को बाहर निकालना था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर चलाए गए इस ऑपरेशन में सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें आम श्रद्धालु भी शामिल थे। इस घटना ने न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे देश में राजनीतिक और धार्मिक समीकरणों को झकझोर कर रख दिया था।
वर्तमान घटनाक्रम और चिंता
हर वर्ष की तरह इस बार भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्वर्ण मंदिर में जुटी। लेकिन सिमरनजीत सिंह मान और उनके समर्थकों की मौजूदगी और उनके द्वारा लगाए गए नारे एक बार फिर उस पुरानी बहस को हवा दे गए जो ‘खालिस्तान’ की मांग से जुड़ी है।
इस घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है। पंजाब पुलिस और खुफिया विभाग सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की जांच कर रहे हैं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या महज राजनीतिक स्टंट।
सियासी संकेत
सिमरनजीत सिंह मान लंबे समय से खालिस्तान की वकालत करते आए हैं। संसद में चुने जाने के बाद भी उन्होंने इस मुद्दे को हवा देने से परहेज़ नहीं किया। उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन हर बार वह इसे सिख अस्मिता और धार्मिक भावनाओं से जोड़कर अपनी बात रखते हैं।