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मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन ! बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली : मणिपुर में एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद अब राष्ट्रपति शासन लग गया है। खास बात है कि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में नए मुख्यमंत्री का नाम सामने नहीं आया था। ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन की अटकलें लग रही थीं। राज्य में मई 2023 से अब तक दो समुदायों मैतेई और कुकी समुदाय के बीच टकराव के बाद भयंकर हिंसा हुई है। इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। माना जा रहा है कि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी विधायक दल में नए सीएम के नाम पर सहमति नहीं बन पाई।

राजभवन में राज्यपाल से पात्रा की मुलाकात

इससे पहले संबित पात्रा के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी। 9 फरवरी को हिंसा से प्रभावित राज्य के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद नेतृत्व संकट पैदा हो गया है। राज्य विधानसभा के दो लगातार सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने के अंतराल की समाप्ति पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘देखते हैं क्या होता है।’

राष्ट्रपति शासन क्या है?

भारत में राष्ट्रपति शासन जिसे केंद्रीय शासन या राज्यपाल शासन के रूप में भी जाना जाता है, राज्य सरकार के निलंबन और केंद्र सरकार की तरफ से प्रत्यक्ष शासन लागू करने को संदर्भित करता है। ऐसा तब होता है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है। संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य सरकार के सभी कार्य केंद्र को और राज्य विधानमंडल के कार्य संसद को हस्तांतरित हो जाते हैं। केवल हाई कोर्ट्स का कामकाज अपरिवर्तित रहता है। इस अवधि के दौरान राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख बन जाता है और विधानसभा या तो भंग हो जाती है या स्थगित हो जाती है।

किन परिस्थितियों में लगता है राष्ट्रपति शासन?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के पालन में असमर्थ रहे। कानून-व्यवस्था फेल होने पर भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही सरकार के अल्पमत में आने पर और स्थिर सरकार न बन पाने पर भी राष्ट्रपति शासन किया जाता है। इसके अलावा भ्रष्टाचार, विद्रोह, आपदा या अन्य कारणों से सरकार के फेल होने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

राज्य के कानूनों पर क्या असर पड़ता है?

आमतौर पर राज्यों की विधानसभा कानून बनाती हैं। मगर राष्ट्रपति शासन में राज्य के कानून संसद बनाती है। अगर संसद का सत्र न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है। मगर इसे 3 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है। इसके लिए संसद की अनुमति जरूरी होती है।

राष्ट्रपति शासन लागू होने का असर

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर उस राज्य की शासन व्यवस्था में कई बदलाव हो जाते हैं। राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के कंट्रोल में आ जाता है। राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी देते हैं और राज्यपाल केंद्र के निर्देशों के आधार पर शासन करता है।

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