छत्तीसगढ़ न्यायालय : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप के एक मामले में 10 फरवरी को फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि पति का पत्नी के साथ जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना सज़ा के दायरे में नहीं आता है।
हाई कोर्ट के इस फ़ैसले से मैरिटल रेप और बिना सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक यौन संबंधों को लेकर भारत के कानून में मौजूद खामियों पर एक बार फिर चर्चा तेज़ हो गई है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकलपीठ ने अपने फ़ैसले में पीड़िता के पति को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 304 (गैर-इरादतन हत्या) के मामलों में दोषमुक्त करार दिया और अभियुक्त को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।
जस्टिस व्यास ने कहा, “अगर पत्नी की उम्र 15 साल या उससे अधिक है, तो पति का अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं माना जाएगा। ऐसे में अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति नहीं मिलना भी महत्वहीन हो जाता है।”
क्या है पूरा मामला ?
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक 40 वर्षीय व्यक्ति पर उनकी पत्नी के साथ अननैचुरल तरीके से यौन संबंध बनाने और उसकी मृत्यु का कारण बनने का आरोप था।
पति पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ बलपूर्वक और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए।
इस मामले में पीड़िता के पति पर आईपीसी की धारा 376, 377 और 304 के तहत केस दर्ज किया गया था।
पीड़िता ने अपनी मौत से पहले इस मामले में बयान दिया था। यह बयान एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने दर्ज किया था।
अपने बयान में पीड़िता ने कहा था कि पति द्वारा बलपूर्वक बनाए गए यौन संबंध के कारण वह बीमार हुई।
मई 2019 में जिला न्यायालय ने पीड़िता के पति को बलात्कार, अप्राकृतिक कृत्य और गैर-इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
हालांकि पीड़िता के पति ने जिला न्यायालय के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को खारिज करते हुए पीड़िता के पति को बरी करने का आदेश दिया है।