विश्व रेडियो दिवस 2025 के अवसर पर रेडियो के महत्व को मनाने के साथ-साथ इस वर्ष का थीम “रेडियो और जलवायु परिवर्तन” रखा गया है। यह विषय रेडियो स्टेशनों को जलवायु परिवर्तन पर जर्नलिस्टिक कवरिज प्रदान करने में मदद करने का उद्देश्य रखता है, ताकि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई जा सके और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके। रेडियो का यह प्रभावशाली रूप आज भी दुनिया भर में एक मजबूत संचार साधन के रूप में मौजूद है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में।
विश्व रेडियो दिवस की शुरुआत 13 फरवरी 2012 को हुई थी, जब इसे यूनेस्को सदस्य देशों द्वारा घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में अपनाया गया था। तब से यह दिन हर साल मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका का एहसास कराना है, जो न केवल आपातकाल में जानकारी का सबसे भरोसेमंद स्रोत है बल्कि समुदायों को जोड़ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जागरूकता फैलाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
रेडियो की उत्पत्ति 19वीं सदी के अंत में हुई थी और 1920 के दशक में भारत में इसका प्रसार हुआ। आज भारत में 415 से अधिक रेडियो स्टेशन हैं और ये 23 भाषाओं में प्रसारण करते हैं। इसके अलावा रेडियो कई चुनौतियों पर जागरूकता फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैसे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दे।
विश्व रेडियो दिवस इस बात की याद दिलाता है कि डिजिटल युग में भी रेडियो आज भी सबसे मजबूत और दूरगामी संचार माध्यम के रूप में कायम है।