डेनमार्क(कोपनहेगन):- डेनमार्क ने हाल ही में आर्कटिक सुरक्षा पर अरबों डॉलर खर्च करने की घोषणा की है। यह निर्णय अमेरिकी दबाव के मद्देनज़र लिया गया है जिसमें डेनमार्क से ग्रीनलैंड के नियंत्रण को छोड़ने की मांग की गई है। ग्रीनलैंड एक महत्वपूर्ण आर्कटिक द्वीप है जो डेनमार्क के अधीन आता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि ग्रीनलैंड अमेरिकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और डेनमार्क को इसका नियंत्रण छोड़ना चाहिए।
डेनमार्क ने इस मांग को खारिज कर दिया है और इसके बजाय आर्कटिक सुरक्षा पर अधिक खर्च करने का निर्णय लिया है। डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉयल्स लुंड पाउलसेन ने कहा है कि यह निर्णय आर्कटिक क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। डेनमार्क ने आर्कटिक सुरक्षा पर 2.1 अरब डॉलर खर्च करने की घोषणा की है। यह राशि डेनमार्क के रक्षा बजट का एक हिस्सा है जो कि 10 साल में 26 अरब डॉलर होगा।
इस राशि का उपयोग आर्कटिक क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। डेनमार्क ने आर्कटिक क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें से कुछ योजनाएं इस प्रकार हैं:
–नए जहाजों की खरीद:डेनमार्क ने आर्कटिक क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए नए जहाजों की खरीद की योजना बनाई है।
-ड्रोन की खरीद: डेनमार्क ने आर्कटिक क्षेत्र में अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ड्रोन की खरीद की योजना बनाई है।
–सैन्य आधारों का विस्तार: डेनमार्क ने आर्कटिक क्षेत्र में अपने सैन्य आधारों का विस्तार करने की योजना बनाई है।
–फ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद: डेनमार्क ने आर्कटिक क्षेत्र में अपनी वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए फ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद की योजना बनाई है।
इन योजनाओं का उद्देश्य आर्कटिक क्षेत्र में डेनमार्क की सुरक्षा को मजबूत करना है। डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉयल्स लुंड पाउलसेन ने कहा है कि यह निर्णय आर्कटिक क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। इस निर्णय का महत्व आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते तनाव के मद्देनज़र बढ़ जाता है।