Dastak Hindustan

महाकुंभ में सुधा मूर्ति बनीं सेवादार, इस्कॉन शिविर में बांटा महाप्रसाद

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान बुधवार को एक दिल छूने वाली घटना सामने आई जब लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति को इस्कॉन शिविर में सेवादार की भूमिका में देखा गया। सुधा मूर्ति ने भक्तों के बीच महाप्रसाद वितरण करते हुए अपनी विनम्रता और सेवाभाव का परिचय दिया। उन्होंने भोजन काउंटर पर खड़े होकर महाकुंभ में आए हुए श्रद्धालुओं को रोटियां बांटी जिससे भक्तों के दिलों में उनके प्रति आभार और सम्मान का भाव और भी गहरा हो गया।

महाकुंभ जो हर बार लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है इस बार भी विभिन्न धर्मार्थ कार्यों और सेवा के उदाहरणों से भरा हुआ है। सुधा मूर्ति जो भारतीय समाज में अपनी सेवाओं और लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं ने इस्कॉन शिविर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यहां उन्होंने भक्तों को रोटियां बांटते हुए एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे हर व्यक्ति को अपने समाज और मानवता की सेवा में हिस्सा लेना चाहिए।

सुधा मूर्ति का यह कार्य न केवल उनके स्वयं के समर्पण को दिखाता है बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि धार्मिक आयोजनों में दान और सेवा की भावना कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं से भी अपील की कि वे अपने जीवन में सेवा और दयालुता को प्राथमिकता दें।

सुधा मूर्ति ने महाप्रसाद वितरण के दौरान बताया कि सेवा से जुड़ा हुआ कार्य मानवता को एक साथ जोड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका है। उनका मानना है कि सेवा का वास्तविक उद्देश्य आत्मनिर्भरता और दूसरे की मदद करना होता है। महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर जब लोग आध्यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं, सुधा मूर्ति ने अपने द्वारा किए गए सेवा कार्य से सभी को यह संदेश दिया कि अध्यात्मिक जीवन का असल अर्थ सिर्फ पूजा या ध्यान तक सीमित नहीं होता बल्कि उसे जीवन के हर पहलू में उतारना चाहिए विशेष रूप से सेवा में।

इस्कॉन शिविर में उनके द्वारा किए गए इस कार्य ने उनके भक्तों को प्रेरित किया और महाकुंभ में सेवा के महत्व को उजागर किया। भक्तों का कहना था कि सुधा मूर्ति की उपस्थिति और उनके द्वारा किए गए कार्य ने महाकुंभ के वातावरण को और भी अधिक पवित्र और उत्साहपूर्ण बना दिया।

सुधा मूर्ति जो पहले से ही समाज में अपनी सेवाओं के लिए जानी जाती हैं अक्सर विभिन्न धर्मार्थ आयोजनों में भाग लेती रहती हैं। महाकुंभ में इस प्रकार से सेवा कार्य करना उनके जीवन के उद्देश्यों से मेल खाता है जो हमेशा समाज की भलाई के लिए काम करना और लोगों को एक साथ लाना है। सुधा मूर्ति का यह कदम धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ समाज की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दिखाता है।

महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में इस तरह से भागीदारी से यह संदेश जाता है कि सेवा का कार्य कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता। हर व्यक्ति चाहे वह कोई भी हो अपनी भूमिका निभा सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। सुधा मूर्ति ने इस कार्य के माध्यम से यह सिद्ध किया कि भक्ति के साथ-साथ सेवा भी आध्यात्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सुधा मूर्ति का महाकुंभ में की गई यह सेवा उनके जीवन के दर्शन का एक उदाहरण है। वे हमेशा इस बात को प्रोत्साहित करती रही हैं कि किसी भी कार्य को करने का उद्देश्य सिर्फ आत्मसंतुष्टि नहीं होना चाहिए बल्कि समाज की भलाई भी होनी चाहिए। उनका जीवन सद्गुणों, नैतिकता, और सेवा का आदर्श प्रस्तुत करता है।

महाकुंभ के इस अवसर पर जब लाखों भक्त पवित्र गंगा स्नान के लिए आते हैं सुधा मूर्ति ने यह दर्शाया कि धार्मिक आयोजन सिर्फ पूजा-अर्चना का स्थान नहीं होते बल्कि यह समाज की सेवा और एकता का प्रतीक भी बन सकते हैं। उनका यह योगदान निश्चित रूप से महाकुंभ में आए भक्तों के दिलों में लंबे समय तक रहेगा और उन्हें प्रेरित करेगा।

महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में सेवा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। सुधा मूर्ति जैसे समाजसेवी जब सेवादार की भूमिका निभाते हैं तो यह न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के सिद्धांतों को प्रकट करता है बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरित करता है कि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को सिर्फ पूजा तक सीमित न रखें बल्कि समाज सेवा के माध्यम से भी अपने आध्यात्मिक उद्देश्य को पूरा करें।

यह घटना महाकुंभ के अद्भुत अनुभव को और भी खास बनाती है और हमें यह सिखाती है कि धर्म का असल उद्देश्य सिर्फ आस्था नहीं बल्कि मानवता की सेवा भी है।

सुधा मूर्ति की महाकुंभ में की गई सेवा न केवल उनके स्वयं के महान कार्यों का परिचायक है बल्कि यह एक प्रेरणा का स्रोत भी है। इस्कॉन शिविर में महाप्रसाद वितरण करके उन्होंने यह साबित किया कि सेवा और भक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। उनका यह कार्य महाकुंभ के धर्मार्थ और आध्यात्मिक वातावरण को और भी समृद्ध बना गया जिससे लाखों भक्तों को प्रेरणा मिली।

शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *