लखनऊ:- आज पूरे भारत में धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देवता की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व 100 साल बाद 5 दुर्लभ योगों के संयोग में मनाया जा रहा है जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
धनतेरस 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 मिनट पर होगा और यह 30 अक्टूबर दोपहर 1:15 मिनट तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:31 बजे से 8:13 बजे तक का रहेगा। इस अवधि में प्रदोष काल के दौरान पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है क्योंकि इस समय में स्थिर लग्न प्रचलित होता है। माना जाता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा से मां लक्ष्मी का घर में स्थायी वास होता है।
पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक करने का विधान है। पूजा विधि इस प्रकार है।
पूजा का स्थान तैयार करें: पूजा स्थल को स्वच्छ कर चौकी या देवता की प्रतिमा स्थापित करें। अगर प्रतिमा न हो तो भगवान की तस्वीर रखें।
तिलक और अर्पण: सभी देवताओं को तिलक लगाएं और उनके समक्ष फल-फूल, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें।
आरती और प्रार्थना: आरती करें और अपने मनोकामना भगवान से प्रकट करें। इस दिन नमक, झाड़ू, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति और धनिया खरीदने को शुभ माना जाता है।
5 दुर्लभ योग
इस वर्ष धनतेरस का दिन 5 दुर्लभ योगों के संयोग में आ रहा है जो 100 वर्षों बाद बन रहे हैं। ये दुर्लभ योग पूजा और खरीदारी का विशेष फल देने वाले माने जाते हैं।
धनतेरस पर सोने-चांदी और अन्य धातुओं की खरीदारी अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में बरकत और समृद्धि लाती है।
जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। इसे मान्यताओं के अनुसार बताया गया है और इसे अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होगा।