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जिगरा मूवी की कहानी आई सामने, मिली 3.5 रेटिंग

नई दिल्ली :- बहन और भाई…एक अटूट और पवित्र रिश्ता। हमेशा बहन को भाई की और भाई को बहन की जरूरत होती है। ये तो सच है कि जिनके पास बहन होती है वो किस्मत वाला होता है। बहनें बड़ी नेहमत से मिलती हैं। बहन बड़ी हो तो और। क्योंकि इसके कई फायदे होते हैं। वो आपके सारे खर्चे भी देती हैं और आपको हमेशा बचाती भी हैं। वैसे ये सारे फायदे बड़ी बहन के होने से होते हैं। आप कितने भी बड़े हो जाओ, उनके लिए छोटे ही होते हो। आप आपस में कितना ही लड़ लीजिए। उनसे गुस्सा हो जाइए, लेकिन उनका प्यार आपसे कम नहीं होगा। इसी रिश्ते पर आनंद बक्शी साहब ने लिखा, फूलो का तारों का सबका गहना है, एक हजारों में मेरी बहना है। आलिया भट्ट की फिल्म जिगरा इसी रिश्ते पर बनी है। जिगरा में भाई बहन के इस गाने को रीक्रेट किया गया है। ये फिल्म 1993 में आई गुमराह का रीमेक है। लेकिन इसकी कहानी भाई-बहन की रखी गई है।

क्या है स्टोरी ?

सत्या और अंकुर भाई बहन हैं। सत्या अंकुर से बड़ी है। उनकी मां का देहांत बचपन में हो गया था। पिता ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। इस मंजर को सत्या ने अपनी आंखो से देखा। अब दोनों अनाथ हो गए। जिन्हें उनके दूर के रिश्तेदार पनाह देते हैं। जिन्हें वो बड़े पापा कहते हैं। सत्या उनके ही रिसॉर्ट में काम करती है। वहीं, अंकुर पढ़ने में स्मार्ट है और कोडिंग करता है। वो अपना करियर भी उसी में बनाना चाहता है। वो चाहता है कि उसके बड़े पापा उसके प्रोजेक्ट में पैसा लगाएं। उनका कज़न भाई है कबीर। जिसे सत्या पंसद नहीं करती है। कबीर उसकी कोडिंग अपने पिता को दिखाता है और इनवेस्ट करने के लिए कहता है। वो हां करते हैं और कबीर के साथ अंकुर Hanshi Dao जाते हैं। जहां उसे पुलिस पकड़ती है और यहीं से कहानी शुरू होती है। अच्छी बात ये है कि फिल्म बिना समय गवाए, दू द पॉइंट पर आती है। जो दर्शकों की नज़र स्क्रीन से नहीं हटने देती। सत्या यानी आलिया भट्ट जो अपने भाई को बचाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती। पूरी फिल्म में अपने भाई को छुड़ाने के लिए उनका पागलपन दिखता है। उनके हिस्से एक दो अच्छे डायलॉग भी आए हैं। जब वो जेल जाती हैं तब हौसला देते हुए कहती हैं ‘तूने मेरी रखी पहनी है। तुझे कुछ नहीं होगा।’कुछ एक्शन सीक्वेंस भी उनके हिस्से आए हैं। इस फिल्म से आलिया ने अपनी वर्सटाइलिटी का सबूत भी दे दिया है। फिल्म में अपने भाई को बचाने के लिए उन्होंने जो पागलपन दिखाया है, वही उनकी मेहनत भी है। जब वो पहली बार जेल में मिलने जाती हैं, उनका वो हड़बड़ाहट और घबराहट बिल्कुल रियल लगती है। कोई दोराय नहीं है कि इस फिल्म की जान वही हैं। वेदांग रैना ने भी अपने रोल के अच्छी तरह से पहचाना है और उस पर काम भी ठीक किया है। इस फिल्म का सरप्राइज़ फैक्टर है मनोज पहवा। उन्होंने भाटिया के रोल को जिस तरह से निभाया है वो अच्छा है। लेकिन उनकी बैकस्टोरी भी थोड़ी दिखानी चाहिए थी। इस वजह से उनका कैरेक्टर बहुत ज्यादा स्टैब्लिश नहीं हो पाया।

फिल्म की कहानी है टू द पॉइंट

फिल्म को वासन ने डायरेक्ट किया है। साथ ही उन्होंने देवशीष इरेंगबम के साथ मिलकर लिखा भी है। फिल्म को ठीक लिखा गया है लेकिन क्लाइमैक्स लचर है। इसे और मजबूत और कसा हुआ बनाया जा सकता था। वासन के फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी क्लाईमैक्स ही है। हालांकि फिल्म की कहानी को घुमाया नहीं गया और तुरंत टू द पाइंट पर लाया गया है। जिससे आप कतई बोर नहीं हो सकते। आलिया का भाई के लिए पागलपन बढ़िया दिखाया गया। इमोशनल वाले भी काफी मोमेंट्स हैं। लेकिन कुछ ऐसे कैरेक्टर्स हैं जिन्हें आया गया दिखाया गया है। उनको भी दिखाने का समय था। डायरेक्शन के लिहाज से वासन का काम बढ़िया है। उनका यह काम पिछले कामों से अलग है। अच्छी बात ये है कि फिल्म अपनी पकड़ नहीं छोड़ती है।

जिगरा को स्वप्निल सोनवाने ने शूट किया है। उनका काम कमाल का है। उन्होंने फिल्म में एक खास कलरपैलेट यूज़ किया है। जो पूरी फिल्म में देखने को मिलता है। आलिया के जेल वाले सीक्वेंस को भी उन्होंने अच्छा इंट्रेस्टिंग बनाया है। प्रेरणा सैगल की एडिटिंग भी अच्छी है। हालांकि इसे थोड़ा और कसा हुआ बनाना था। जो थोड़ा और थ्रिल पैदा कर सकती थी। फिल्म का म्यूज़िक और बैकग्राउंड म्यूज़िक भी अच्छा है। ये भी फिल्म को ऊपर उठाने में मदद करते हैं।

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