नई दिल्ली:- शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उत्तर प्रदेश और राजस्थान स्थित इस क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई और उनके संरक्षण की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है और कोर्ट से इसपर तत्काल कार्रवाई करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद इस पर टिप्पणी की कि पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके वर्तमान संख्या का पता लगाना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की कटाई की समस्या का समाधान तभी संभव होगा जब यह जाना जाएगा कि क्षेत्र में कितने पेड़ मौजूद हैं।
टीटीजेड जो लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला है उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि पेड़ों की अवैध कटाई पर कड़ी निगरानी रखी जाए और किसी भी घटना की रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को समय से दी जाए। सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में बताया कि पेड़ों की निगरानी का जिम्मा राज्य वन विभाग या केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त अन्य संस्थाओं का है। इस पर एमिकस क्यूरी ए डी एन राव ने सुझाव दिया कि पेड़ों की कटाई की घटनाओं की जांच के लिए संबंधित पुलिस थानों के एसएचओ को जिम्मेदार ठहराया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इस मुद्दे का सही समाधान प्राप्त करना है तो सबसे पहले इस क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गिनती की जानी चाहिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की है। इससे पहले 14 सितंबर को भी कोर्ट ने टीटीजेड में वनरोपण के नियमों के पालन को लेकर सख्त टिप्पणी की थी और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस क्षेत्र में अनिवार्य वनरोपण के नियमों का पालन किया जाए।
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