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रनू में ग्राम प्रधान प्रतिमा देवी ने रामलीला के की शुभारंभ

सोनभद्र दुद्धी से शेषपाल की स्पेशल रिपोर्ट

 

सोनभद्र (उत्तर प्रदेश )- दुद्धी ब्लाक के अंतर्गत ग्राम पंचायत रनु में प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी 2 अक्टूबर को रामलीला मंच का किया गया शुभारंभ | रात्रि 10:00 मुख्य अतिथि ग्राम प्रधान प्रतिमा देवी के द्वारा फीता काट कर रामलीला मंच का कार्यक्रम शुभारंभ किया गया | साथ ही बी डी सी नंदकुमार ग्राम स्वरोजगार सेवक जगजीवन राम वार्ड सदस्य नंदकेश्वर, गुरुजी लाल बिहारी, केशवर प्रसाद यादव , देवनागर सिंह रामलीला समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार , व पूर्व अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद, उपाध्यक्ष रमेश कुमार, कोषाध्यक्ष रामबरन ‌, व्यवस्थापक अमरनाथ ‌, डायरेक्टर रामज्ञान , राधेश्याम, नागेंद्र प्रसाद मुन्नीलाल खरवार रामप्रसाद उर्फ भकोसन दीपक कुमार, रमाशंकर सूर्यवंशी सुरेंद्र कुमार, सोन शाह कामेश्वर कुशवाहा नंदू कुमार सुदेश कुमार छतरी यादव, सुदामा कुमार, नीरज कुमार, सोनू कुमार, संतोष कुमार मौजूद रहे |

इसके बाद रामलीला मंडली के स्थानीय कलाकारों द्वारा नारद मोह लीला का मंचन किया गया | रामलीला मंचन में दर्शाया गया कि देवर्षि नारद प्रभु का गुणगान करते हुए | एक सुंदर रमणीय स्थान पर समाधि में लीन हो गए जब इंद्र को नारद जी के समाधि के बारे में जानकारी हुई | तब उन्होंने नारद जी के समाधि को भंग करने हेतु | कामदेव और दो अप्सराओं को भेजा कामदेव वहां पहुंचकर नारद जी के समाधि को तोड़ने का काफी प्रयास करते हैं लेकिन वह असफल होकर नारद जी के पैरों पर गिर जाते हैं | जब नारद जी के समाधि टूटती है तो कामदेव को अपने चरणों में झुका कर उन्हें समझ कर वापस इंद्र के पास लौट जाने के आदेश देते हैं | नारद जी को कामदेव प्रणाम करके वापस चले जाते हैं |

इस बात को नारद जी अपने प्रशंसा ब्रह्मा जी शंकर जी कह दोनों देवताओं मना करते हुए कहा कि आप इस बात को विष्णु जी से मत कहिएगा पर वे नहीं माने और वे भगवान विष्णु के पास जाकर के अपनी प्रशंसा कर सुनाई विष्णु जी ने अपने माया से श्रीनिवासन नगर बसाया वहां के राजा सिल निधि ने अपनी पुत्री विश्व मोहिनी के स्वयंवर रचाया था। जिसमें नारद भी पहुंच जाते हैं और चेष्टा करते हैं । नारद जी विश्व मोहनी की हस्तरेखा देखते ही उनके माया में मोहित हो जाते हैं और विष्णु जी के पास जाकर के उनके स्वरूप मानते हैं विष्णु जी अपने स्वरूप के बजाय बंदर का रूप दिया। अब नाराजी बंदर का रूप लेकर स्वयंवर में उपस्थित होते हैं उधर श्री हरि विष्णु जी स्वयंवर में उपस्थित हो जाते हैं। विष्णु जी को देखकर विश्व मोहनी उनके गले में जय माल डाल देती है।  भगवान विष्णु मोहिनी के साथ अपने धाम के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। राजा के दरबार में बंदर के रूप में देख कर लोग खूब हंसे। दर्शक लोग रामलीला देखकर बहुत खुशी जताई।

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