विवेक मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट
शक्तेषगढ़ (मिर्जापुर):- गुरुचरण रज को माथे लगाकर आत्मिक अनुभूति महसूस करने वाले सभी भक्तों ने यथार्थ गीता के प्रणेता योगेश्वर महाप्रभु सदगुरुदेव भगवान स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज जी का दिव्य दर्शन -पूजन अर्चन किया, वर्ष भर गुरु- शिष्य के पावन पर्व गुरु- पूर्णिमा का इंतजार स्वामी जी के सभी अनुयायियों समेत भक्तों को बेसब्री के साथ रहता है, पूरा आश्रम परिसर अलौकिक, कण -कण में योगेश्वर महाप्रभु की अनुभूति कराने वाला रहा-प्रातः 3:00 बजे भोर से ही योगेश्वर महाप्रभु का दर्शन- पूजन कर आशीर्वाद लिया।
-स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने दिया गुरु मंत्र सिर्फ एक परमात्मा का करें भजन और चिंतन, सभी धर्म को त्याग कर एकमात्र मेरी शरण में आ जाओ मैं तुम्हें उसे परमधाम- परम गति को प्राप्त कर दूंगा जिसकी तुमने कभी कल्पना भी ना की होगी।
विभिन्न जगहों पर यथार्थ गीता उपलब्ध भक्तगणों को कराई गई, परमहंस आश्रम शक्तेषगढ़ में सभी संत समेत भक्तगणों के बीच 5 लाख से ज्यादा यथार्थ गीता की प्रतियां योगेश्वर महाप्रभु के आदेशानुसार न्यूनतम दर पर उपलब्ध कराई गई इस बात की जानकारी परमहंस आश्रम बख्तियारपुर पटना बिहार के स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ने दी।
गुरु पूर्णिमा पावन पर्व पर पूरे आश्रम को 4 जोन एवं 15 सेक्टरों में बांटा गया-एडीएम नमामि गंगे देश के कोने-कोने से आए हुए संतों ने प्रवचन किया।
श्री राम जी महाराज उर्फ मड़ई महाराज जी का भक्त गणों ने दर्शन एवं पूजन किया। आश्रम के वरिष्ठ संत नारद महाराज जी पूरे परिसर में भ्रमण कर जानकारी लेते रहे। प्रवचन में निर्मलानंद महाराज जी, राजेश्वरानंद महाराज जी, लाले महाराज जी, तानसेन महाराज जी, तुलसी महाराज जी, आशीष बाबा, दीपक बाबा व राम जी महाराज,श्रद्धानंद महाराज जी द्वारा भक्ति एवं ज्ञान की गंगा बहाई गई।
आश्रम परिसर में 108 एंबुलेंस सेवा, अग्निशमन एवं नगर पालिका द्वारा जगह-जगह शौचालय की सुलभ व्यवस्था कराई गई। आश्रम में ओम श्री सदगुरुदेव भगवान की जय, के जयकारों के साथ पूरा परिसर गूंजायमान हो उठा। राजगढ़ वाया शाहगंज मार्ग पर बड़े वाहनों के लिए प्रशासन द्वारा अस्थाई बैरियर लगाया गया।
चप्पे -चप्पे पर प्रशासन की रही पैनी नजर, आश्रम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। प्रसाद के लिए भक्तों को 300 कुंटल आटे से पुड़िया,150आटे से निर्मित बिहारी पुड़िया, 300 कुंटल आटे से हलुआ, 400 कुंटल आटे से राजस्थानी शीरो तैयार किया गया। रात्रि कालीन दृश्य मानो ऐसा प्रतीत होता रहा स्वर्ग धरती पर उतर गया हो। आश्रम के दोनों तरफ भक्तों की सुविधा के लिए पांच-पांच किलोमीटर तक प्रकाश की व्यवस्था बांस -बल्लियों के सहारे सुलभ कराई गई ,जिससे आवागमन में किसी भी प्रकार की बांधा न उत्पन्न होने पाए, सोमवार को सभी संत- महात्माओं को स्वामी जी द्वारा विदाई दी गई।
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