सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- जनपद सोनभद्र के चतरा ब्लाक अंतर्गत ग्राम जयमोहरा निवासी डॉ. मुनीश कुमार मिश्र का चयन “भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान” राष्ट्रपति निवास, शिमला में रिसर्च फेलो के रूप में हुआ है। शिमला में स्थित यह संस्थान देश के उच्चतम अनुसंधान संस्थानों में गिना जाता है। यहां अनुसंधान करना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होती है।
वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से शास्त्री आचार्य एवं पीएच.डी. करने वाले डॉ. मुनीश कुमार मिश्र सोनभद्र के ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जिनको इस संस्थान से अनुसंधान करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि ‘उच्च अध्ययन संस्थान’ में अनुसंधान हेतु चयनित होना मेरे लिए अत्यंत गौरव का विषय है और यह उपलब्धि बाबा विश्वनाथ की कृपा एवं माता-पिता तथा गुरुजनों के आशीर्वाद से प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि वह “काशी की न्याय दर्शन की परंपरा” पर अनुसंधान करते हुए काशी के परिप्रेक्ष्य में आदि से वर्तमान तक के न्याय दर्शन के आचार्यों की जीवनी को अनुसन्धान के द्वारा संग्रहित व लेखन करने का कार्य करेंगे। क्योंकि काशी एक विशिष्ट नगरी है और यहां विभिन्न शास्त्रों के साथ न्याय दर्शन की भी एक लंबी सुदीर्घ परंपरा है, किंतु व्यवस्थित रूप से अनुसंधान ना हो पाने के कारण आचार्यों की जीवनी अथवा उनका विवरण नहीं मिलता है। इस परियोजना के द्वारा काशी में कौन-कौन से आचार्य न्याय दर्शन अध्ययन करने आये या अध्यापन किया, उन सभी का अनुसन्धान करके एक संग्रह तैयार किया जाएगा, जो भविष्य में आने वाले छात्रों और आने वाली पीढ़ी के लिए काशी की न्याय परंपरा को जानने का एक प्रमाणिक ऐतिहासिक मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अनुसन्धान के अंतर्गत काशी के न्यायशास्त्र के आचार्यों के जीवनवृत्त, कृतित्व, वंशपरम्परा, गुरुपरम्परा व शिष्य परम्परा का अन्वेषण तथा संकलन किया जाना है।
इसमें न केवल अध्यापन कार्य में सन्नद्ध अपितु अन्य किसी भी रूप में यदि किसी विद्वान् द्वारा न्यायशास्त्र परम्परा का संवर्धन किया गया है तो उनके जीवनवृत्त को भी इसमें सम्मिलित किया जायेगा| भारत में परम्परागत रूप से न्यायशास्त्र का अध्यययन करने के उपरान्त विदेशों में न्यायदर्शन का अध्यापन/अनुसंधान करने वाले विद्वानों को भी इसमें समाहित किया जायेगा।
श्री मिश्र ने कहा कि स्वतन्त्र रूप से ‘काशी की न्याय दर्शन परम्परा’’ पर अनुसन्धान न होने से कितने आचार्य होंगे इस विषय में अभी स्पष्ट कहना कठिन है ,किन्तु कम से कम 500 आचार्यों की जीवनी पर कार्य होना है, जिनको इस अनुसन्धान के माध्यम से जानने का प्रयत्न किया जायेगा। इस अनुसन्धान के द्वारा काशी की न्याय परम्परा की एक अपनी विशिष्ट उपलब्धि तथा काशी की ज्ञान परम्परा के विकास में न्याय दर्शन के आचार्यों के योगदान की भूमिका सभी के सम्मुख उपस्थित होगी। साथ ही साथ यह अनुसन्धान काशी के इतिहास से भी परिचय करायेगा। भविष्य में शोधार्थियों के अनुसन्धान हेतु भी सहायक होगा। काशी के नैयायिकों की जीवनी को भी संरक्षित करने का कार्य करेगा।
बताते चले कि डॉ मुनीश मिश्र को इससे पूर्व में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ प्रभाग, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के द्वारा “न्यायांजनम्” नामक अनुसंधान परियोजना भी स्वीकृत हुई थी जो अब लगभग पूर्ण हो चुकी है, शीघ्र ही जिसका मोबाइल एप्लीकेशन आम जनमानस के प्रयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगा।