नई दिल्ली:- पीएम नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री शपथ ले के कुर्सी संभालने वाले हैं। इस कवायद के बीच अब इस बात पर नज़र टिकी हुई हैं कि मोदी मंत्रि परिषद में कौन-कौन एनडीए की तरफ से मंत्री बनेंगे।
जेडीयू कोटे से किन सांसदों को मंत्री पद में जगह मिलेगी अब इसकी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। जानकारी के अनुसार बता दे कि, जेडीयू के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो नामों पर मुहर लगा चुकी है।
बता दें कि चुनाव परिणाम आने के बाद से ही जेडीयू की अहमियत काफी बढ़ गई है। अब तो कब कि नजरें इसी बात पर टिकी हुई थीं कि प्रधानमंत्री मोदी अपने कैबिनेट में किन सांसदों को मंत्री बनने का मौका देते हैं। साथ ही नजरें इस बात पर भी टिकी हुईं हैं कि नीतीश कुमार किनके नाम पर मुहर लगाते हैं। अब पर्दा लगभग उठ गया है और नीतीश कुमार ने अपने खास कहे जाने वाले सहयोगियों के साथ-साथ जातिगत समीकरण को साधते हुए दो नाम पर मुहर लगा दी है। सूत्र बताते हैं कि अब महज इसकी औपचारिक तौर पर घोषणा होनी बाकी है।
सीएम नीतीश कुमार ने जिन दो नामों पर मुहर लगाई है उसमें पहला नाम है राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन का है। ललन सिंह जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और इस बार मुंगेर से सांसद चुने गए हैं। इसके साथ ही वह नीतीश कुमार के बेहद खास माने जाते हैं। इनके अनुभव और नीतीश कुमार के भरोसेमंद होने का फायदा इन्हें मिला है। माना जा रहा है कि ललन सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करा कर नीतीश कुमार इनके अनुभव का लाभ बिहार के विकास के लिए तो करेंगे ही साथ ही सवर्ण वोटरों, खासकर भूमिहार जातिके मतदाताओं को भी बड़ा मैसेज देंगे।
रामनाथ ठाकुर-भारत रत्न से सम्मानित स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के बेटे राम नाथ ठाकुर को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। रामनाथ ठाकुर अति पिछड़ा समाज से आते हैं। दरअसल, बिहार में अति पिछड़ा समाज की आबादी लगभग 36 प्रतिशत है जो विधान सभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। नीतीश कुमार राम नाथ ठाकुर के बहाने जातिगत समीकरण साधना चाहते हैं। ऐसा करके नीतीश कुमार जदयू के लिए आने वाले विधान सभा चुनाव में अति पिछड़ा वोटरों का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।
बता दें कि इस बात के संकेत तब मिलने लगे जब एक दिन में ही ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर की मुलाकात नीतीश कुमार से हुई। अब लगभग यह कन्फर्म हो गया है कि मोदी कैबिनेट में फिलहाल जदयू कोटे से दो मंत्री ही बनाए जाने हैं। हालांकि, चर्चा है कि हर चार सांसदों पर एक मंत्री के फॉर्मूले के तहत तीसरे मंत्री की मांग की जा रही है और इस पर विमर्श किया जा रहा है।
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