तारा त्रिपाठी की स्पेशल रिपोर्ट
मीरजापुर (उत्तर प्रदेश):- 2024 का लोक सभा चुनाव सिर पर है। चुनावी अखाड़े पर प्रत्याशी ताल ठोकने लगे हैं। पुराने सांसद की उपस्थिति तो हर रोज किसी न किसी क्षेत्र में हो ही रही है।कुछ नये चेहरे भी उभर रहे हैं। पार्टियों के कार्यक्रम क्षेत्र में रफ्तार पकड़ लिए हैं। सांसद चुनने के लिए कमोवेश हर पार्टी खामोश पड़े मतदाताओं का मन टटोलने में जुट गई हैं। व्याह-शादी व शोक संवेदना में अपनी उपस्थिति तेजी से दर्ज करा रहे हैं। पंजीकृत पार्टियां अपने संगठन के कील-कांटे दुरूस्त कर रही हैं। निर्दल प्रत्याशियों के भी आने की सुगबुगाहट है।
पिछले दो बार से सांसद रहीं केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल में इस बार भी हैट्रिक लगाने की ललक ज्यादा देखी जा रही है। कभी विकसित भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से तो कभी किसी उद्धाटन, लोकार्पण, सरकारी शादी समारोह में हिस्सेदारी करके अपनी तेजी बनायी हुई हैं। सपा से प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल विगत दिनों अपने पांचों विधान सभा की समीक्षा करके कार्यकर्ताओं को हर वक्त चुनाव के लिए तैयार रहने का आह्वान कर चुके हैं ।बसपा और कांग्रेस की भी बैठकें तेज हो चुकी हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है यदि गठबंधन अन्त तक कायम रहा तो मिर्जापुर संसदीय चुनाव में उन्हें सहयोगी की ही भूमिका में रहना होगा।
जहां तक मुद्दों और कार्यक्रम का सवाल है तो भाजपा का एनडीए गठबंधन राम मंदिर और विकास का सहारा लेकर चुनावी वैतरणी पार लगाना चाहेगा। वहीं दूसरी तरफ सपा कांग्रेस का इण्डिया गठबंधन पीडीए तथा नफरत के बीच मुहब्बत व न्याय की बात करके अपने प्रत्याशी को जिताना चाहेगा। बसपा ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है किन्तु दमखम के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा ने अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है।
परिणाम तो अभी दूर है किन्तु चट्टी-चौराहों पर चुनावी चर्चा के बीच मतदाताओं में खामोशी है। कोई मंहगाई, बेरोजगारी तो कोई सरकार के द्वारा दिये जा रहे इमदाद को इस चुनाव में भारी रहने का अनुमान लगा रहे हैं। अब देखना है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में ऊट किस करवट बैठता है।