नई दिल्ली :- ईरान आज एक कट्टर इस्लामी राष्ट्र माना जाता है। लेकिन कभी यह मुल्क ऐसा था जहां पर सड़कों पर महिलाएं वेस्टर्न ड्रेस पहनकर घूमती थीं। वो अपने मन के मुताबिक काम करती थीं। आज के ईरान को देखने के बाद उस तस्वीर की कल्पना करना मुश्किल लगता है। 1979 के बाद वहां का हर दृश्य ही बदल गया जब इस्लामी क्रांति हुई। वहां के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी को हटाकर अयातुल्ला खुमैनी को तख्ता पर बैठाया गया। एक भव्य पार्टी ने कैसे इस्लामिक क्रांति को हवा दी आइए बताते हैं।
1941 में मोहम्मद रजा जो अपने समय के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे, सत्ता में आये। हालांकि उनके देश की आधी आबादी अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। शाह पर वेस्टर्न कल्चर का प्रभाव था। वो हिजाब जैसी सख्त प्रथाओं का विरोध करते हुए उदारवादी सोच रखते थे। धार्मिक मौलवी उनके इस कदम से खुश नहीं थे। लेकिन जो भी शाह की नीतियों का विरोध करता था उसे जेल में डाल दिया जाता था। इसकी वजह से कट्टरपंथी इस्लामिक सोच वाले लोगों के अंदर धीरे-धीरे आग सुलगने लगी थीं।
एक साल तक चली भव्य पार्टी की तैयारी
शाह ने फारसी साम्राज्य की 2500 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए ईरान में एक भव्य पार्टी आयोजित करने का निर्णय लिया। हालांकि पार्टी 1971 में हुई थी, लेकिन तैयारी एक साल पहले से ही शुरू कर दी थीं। सोच सकते हैं कि आयोजन किया बड़ा था। राजधानी में मेहमानों के ठहरने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, तो बंजर रेगिस्तान में पार्टी आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
बंजर रेगिस्तान को बदल दिया गया ऐशगाह में
भव्य आयोजन के लिए पर्सेपोलिस नाम के एरिया की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया गया। 30 किलोमीटर तक को शानदार तरीके से सजाया गया। तमाम सुविधाओं से लैंस टेंट लगाए गए। फारस के पहले सम्राट साइरस महान की कब्र के पास भव्य समारोह की तैयारी चल रही थीं, हैरानी की बात यह थी कि ईरानी आबादी साफ पानी की कमी से जूझ रही थी तो दूसरी तरह बंजर रेगिस्तान पर पानी की नदियां बहाई जा रही थीं।