उत्तराखंड:- दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर माने जाने वाले तुंगनाथ मंदिर के झुकने बात सामने आई है। जिस पर अब बद्री केदार मंदिर समिति ने इसकी जांच कराने की मांग की है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी एक स्टडी में इस बात की जानकारी दी थी कि मंदिर में 5 से 6 डिग्री तक का झुकाव और परिसर के अंदर बने मूर्तियों और छोटे स्ट्रक्चर में 10 डिग्री तक का झुकाव देखने को मिला है। जिस पर अब बीकेटीसी ने इसकी गहनता से जांच कराने और रिपोर्ट जारी करने की मांग की है।
आठवीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने निर्माण कराया
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 12 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है तुंगनाथ शिव मंदिर। तुंगनाथ को दुनिया का सबसे ऊंचे शिव मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मान्यता है कि आठवीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने इसका निर्माण कराया था। यह बद्री केदार मंदिर समिति के प्रशासन के तहत आता है।
गहनता से अध्ययन और कारणों का पता लगाने को कहा
बीकेटीसी को इसकी जानकारी मिलते ही इस पर गंभीरता से जांच कराने की बात की जा रही है। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मंदिर के झुकाव को लेकर जिस स्टडी की बात की जा रही है, हमनें उसकी जांच की मांग की है। साथ ही इसकी गहनता से अध्ययन और कारणों का पता लगाने को कहा है।
संरक्षित इमारत के तौर पर शामिल किए जाने की सलाह
जिससे इस मामले की वास्तविकता और सही बात की जानकारी मिल सके। उसके बाद इसके आगे के कदम पर विचार किया जाएगा। एएसआई ने केंद्र सरकार और संबंधित विभागों को इसकी जानकारी दे दी है। साथ ही मंदिर को संरक्षित इमारत के तौर पर शामिल किए जाने की सलाह दी है। एएसआई मंदिर में झुकाव और जरुरत पड़ी तो मरम्मत करने को लेकर भी अपने सुझाव रख चुका है।
तुंगनाथ मंदिर,भगवान शिव की पंच केदारों में से एक
तुंगनाथ मंदिर हजारों वर्ष पुराना माना जाता है और भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ मंदिर चोपता से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यहां शादी से पहले तपस्या की थी।