नई दिल्ली :- आचार्य चाणक्य का माना है कि शादी से पहले की कुछ समस्या बाद में रिश्ता को खराब कर देती है। इसलिए समय रहते इन समस्याओं का निवारण कर लेना बहुत जरुरी है। लेकिन कुछ लोगों को सुहागरात वाली रात को इन चीजों का पता चलता है कि…
आचार्य चाणक्य ऐसे महान अर्थशास्त्री और दार्शनिक थेए जिन्होंने मानव जीवन में आने वाली समस्याओं पर अपने नीति शास्त्र में वर्णित है।
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में अर्थशास्त्र राजनीति कूटनीति के अलावा व्यवहारिक के बारे में बहुत से कटु सत्यों की व्याख्या की है। उनकी बातें और नीतियां मनुष्य को हर परिस्थिती से निकाल सकती है।
चाणक्य ने नीति शास्त्र में लिखी उनकी नीतियों को आज के जीवन के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम में बड़ोंए बड़ों और बच्चों के लिए कुछ न कुछ सिखाने की कोशिश की है।
जिनका पालन कर मनुष्य अपने जीवन की हर मुश्किल का सामना कर सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चाणक्य की वो रहस्यमयी नीतियां जिनका पालन करने के बाद आप अपने जीवन में खुशियों का आवागमन कर सकते हैं।
आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही कठोर हों लेकिन उनकी शक्ति किसी यज्ञ से कम नहीं है। चाणक्य नीति के मुताबिक शादी को तभी पक्का कहा जाता है जब वर-वधु पक्ष इस शादी के लिए राजी हो जाता है. लेकिन चाणक्य ने कहा है कि पुरुष शादी करने से पहले लड़की की जांच परख करनी जरुरी है. ये सब करने के बाद ही शादी के लिए हां करनी होती है।
शादी को लेकर चाणक्य के विचार
आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति के पहले अध्याय के 14वें श्लोक में लिखा है कि बुद्धिमान व्यक्ति को कुलीन कुल में जन्मी कुरूप कन्या से ही शादी करनी चाहिए. ज्यादा रूपायत महिला भी घर का नाश कर देती है. कभी भी खुद से सुंदर लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए। साथ ही अपने गोत्र की लड़की से ही शादी करनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शादी के लिए खूबसूरत लड़की देखने के लिए लोग लड़की और उसके परिवार की पुरानी बातों पर पर्दा डाल देते हैं. लेकिन ये करना सही नहीं हैं। अगर आपको लड़की के परिवार में किसी भी प्रकार की अनैतिकता दिखती है तो आप इस रिश्ते के लिए इंकार कर सकते हैं।
आचार्य ने कहा है कि नीचे कुल की लड़की संस्कार भी नीचे होते हैं। ऐसे में आप उच्च कुल की लड़की से शादी करने की सोच रखें। श्रेष्ठ कुल की कन्या का व्यवहार उसके कुल के अनुसार ही होगा, भले ही वह कन्या कुरूप और रूपहीन ही क्यों न हो।
आचार्य चाणक्य के अनुसार उच्च कुल की कन्या अपने कार्यों से घर को पावन और स्वर्ग के अनुसार बना देगी. लेकिन देखा गया है कि नीचे कुल की महिला का काम नीचे ही होंगे और वह हर समय घर को नीचा करने का प्रयास करती है।
वैसे भी अपने से हीन गोत्र में नहीं अपितु अपने समान गोत्र में विवाह करना सदैव अच्छा रहता है। यहां कुल का अर्थ धन पैसा नहीं होता है, बल्कि कुल चरित्र को कहा जाता है।
16वें श्लोक के अनुसार
चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के 16वें श्लोक के अनुसार यदि विष में भी अमृत है इसे अर्जित करने में आपको हर प्रयास करना चाहिए. अपवित्र और अपवित्र वस्तुओं में यदि सोना या कीमती वस्तु आपको दिखाई देती है तो आपको उसे ग्रहण करने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए.
यदि किसी नीच इंसान के पास कोई अच्छा ज्ञान, कला या गुण है तो उसे सीखने में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करना चाहिए। आपकी ये शर्म आपके जीवन को बर्बाद कर देगी। वैसे ही परिवार को छोड़कर अगर लड़की का चरित्र सही है तो आपको शादी के लिए हां कहने में संकोच नहीं करना चाहिए।
इस श्लोक में आचार्य गुणों के अर्जन के बारे में जिक्र किया गया है। यदि किसी नीचे इंसान के पास कोई भी सद्गुण या ज्ञान है तो उससे वह विद्या सीखने का काम करना चाहिए। जब भी आपको उसके संपर्क में जाने का अवसर मिले तो उसे हाथ से जाने ना दें।
आपका ये प्रयास आपको अच्छा ज्ञान दे सकता है।विष में अमृत और मैल में सोने का अर्थ है नीच इंसान के गुण को शुद्ध रूप देकर जीवन में लाना।
जबकि एक अन्य श्लोक में आचार्य चाणक्य ने लिखा है कि पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का आहार दुगुना, बुद्धि चौगुनी, साहस छह गुनी और कामवासना भी आठ गूना ज्यादा होती है। वह हर काम में पुरुषों से आगे ही रहती है। आप आज के इस कलयुग में ही देख सकते हैं कि कैसे महिला पुरुषों को शिक्षा, खेल और घरेलू कार्यों मे पछाड़ रही है।