पटना (बिहार):- बिहार का नाम सुनते ही हमारे मन में इतिहास संस्कृति और ज्ञान की महान धरोहर उभरकर सामने आती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस प्रदेश का नाम बिहार क्यों पड़ा इसका संबंध सीधे तौर पर यहां मौजूद प्राचीन विहारों से है।
मौर्य गुप्त और पाल वंश के शासन काल में बिहार बौद्ध धर्म और शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। यहां नालंदा विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे महाविहार स्थापित किए गए थे। इन विहारों में देश विदेश से विद्यार्थी और भिक्षु शिक्षा और साधना के लिए आया करते थे। धीरे धीरे यह भूमि विहारों की भूमि कहलाने लगी। संस्कृत और पालि भाषाओं में प्रयुक्त शब्द विहार का अर्थ होता है निवास स्थल या साधना केंद्र। समय के साथ यह शब्द विहार से बदलकर बिहार हो गया और यही नाम इस प्रदेश की पहचान बन गया।
बिहार सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। यह वही भूमि है जहां महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद धर्मचक्र प्रवर्तन किया और महावीर ने जैन धर्म का प्रचार प्रसार किया। यहां की मिट्टी ने नालंदा जैसे विश्वविद्यालय को जन्म दिया जो प्राचीन काल में विश्वभर के विद्यार्थियों के लिए ज्ञान का केंद्र था।
आज भी जब हम बिहार का नाम लेते हैं तो हमारे सामने सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि ज्ञान साधना और संस्कृति की समृद्ध परंपरा झलकती है। बिहार का नाम इसके गौरवशाली अतीत और अमर धरोहर का साक्षी है जो इसे भारत ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
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