नई दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल आधार ही नहीं बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड जैसे अन्य पहचान पत्र भी फर्जी बनाए जा सकते हैं। अदालत का यह रुख उस याचिका पर आया जिसमें नागरिकता साबित करने के लिए आधार कार्ड को पर्याप्त मानने पर सवाल उठाया गया था। याचिका में आशंका जताई गई थी कि जाली आधार कार्ड के सहारे लोग नागरिकता का दावा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को चुनावी संदर्भ से जोड़ते हुए साफ किया कि नागरिकता का निर्धारण केवल आधार या किसी पहचान पत्र से नहीं हो सकता क्योंकि ये दस्तावेज किसी की राष्ट्रीयता की गारंटी नहीं देते। अदालत ने यह भी कहा कि पहचान पत्र का इस्तेमाल केवल पहचान सत्यापन के लिए होता है जबकि नागरिकता का सवाल कहीं ज्यादा संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा विषय है।
इस टिप्पणी से स्पष्ट हो गया है कि आने वाले समय में पहचान से संबंधित दस्तावेजों की वैधता और उपयोगिता को लेकर बहस और तेज होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी खामियों और भ्रष्टाचार के कारण फर्जी दस्तावेज बनना आसान हो गया है जिससे नागरिकता या सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए संकेत दिया कि चुनावी प्रक्रिया और नागरिकता से जुड़े मामलों में ठोस सबूत और कानूनी मानदंड ही निर्णायक होंगे। यह निर्णय न केवल बिहार चुनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है बल्कि देशभर में पहचान पत्रों की विश्वसनीयता पर व्यापक चर्चा की शुरुआत भी कर सकता है।
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