नई दिल्ली :- एशिया कप का मुकाबला जब भारत और पाकिस्तान के बीच होता है तो सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि भावनाओं और राजनीति का भी टकराव दिखता है। हाल ही में खेले गए मैच में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को सात विकेट से पराजित किया। यह जीत सिर्फ एक खेल का नतीजा नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों के लिए गर्व का क्षण थी। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में निराशा और बेचैनी साफ नजर आई। हार के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक इस हार को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस हार को शर्मनाक बताया और साथ ही पुराने घटनाक्रमों को भी याद दिलाया। उन्होंने मई महीने की उस घटना का जिक्र किया जब पाकिस्तान के अनुसार उसने भारतीय विमानों को मार गिराया था। उनके इस बयान ने यह साबित कर दिया कि खेल के मैदान की हार ने पाकिस्तान के नेताओं के पुराने जख्मों को फिर से ताजा कर दिया है। भारत की जीत और खिलाड़ियों का आत्मविश्वास पाकिस्तान के लिए मानसिक दबाव का कारण बन गया है।
मैच के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा उस घटना की रही जब भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से परहेज किया। पाकिस्तान ने इसे खेल भावना के खिलाफ बताया लेकिन भारतीय प्रशंसकों का मानना है कि यह केवल क्रिकेट नहीं बल्कि राष्ट्रीय सम्मान का मामला है। भारतीय टीम ने मैदान पर अपने प्रदर्शन से यह दिखा दिया कि उनकी प्राथमिकता केवल खेल में श्रेष्ठता हासिल करना है।
इस मुकाबले ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हर मैच सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं होता बल्कि यह दोनों देशों की राजनीति इतिहास और मानसिकता को भी सामने लाता है। भारत की जीत जहां आत्मविश्वास को मजबूत करती है वहीं पाकिस्तान की हार उन्हें अपनी कमजोरियों का आईना दिखाती है।
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