नई दिल्ली :- दिल्ली में हाल ही में हुए बीएमडब्ल्यू हादसे ने राजधानी की सड़कों पर सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुर्घटना में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी नवजोत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज जारी है। हादसे में सबसे बड़ा विवाद इस बात को लेकर खड़ा हो गया है कि आरोपी गगनप्रीत के पिता ने घायल को अस्पताल ले जाने के लिए घर से लगभग उन्नीस किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल को क्यों चुना जबकि आसपास कई बड़े अस्पताल मौजूद थे। यह निर्णय लोगों को असामान्य लग रहा है और इससे इस पूरे मामले पर संदेह की परतें और गहरी हो गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि हादसे के तुरंत बाद निकटतम अस्पताल पहुंचाना पीड़ित के जीवन बचाने के लिहाज से सबसे जरूरी कदम होता है। ऐसे में दूर स्थित अस्पताल चुनने की वजह या तो निजी संपर्क हो सकते हैं या फिर किसी अन्य रणनीति का हिस्सा। पुलिस इस पहलू की गहन जांच कर रही है और सीसीटीवी फुटेज तथा चश्मदीद गवाहों के बयान के आधार पर घटना की सच्चाई सामने लाने का प्रयास कर रही है।
हादसे के बाद सड़क पर गाड़ी दौड़ाने की गैर जिम्मेदाराना प्रवृत्ति पर भी बहस छिड़ गई है। दिल्ली में लगातार बढ़ते सड़क हादसे यह संकेत दे रहे हैं कि यातायात नियमों के पालन और कानून के सख्त क्रियान्वयन की सख्त जरूरत है। नवजोत सिंह जैसे जिम्मेदार और उच्च पदस्थ अधिकारी की इस तरह सड़क पर जान जाना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि समाज और शासन व्यवस्था दोनों के लिए गहरी चोट है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच किन निष्कर्षों तक पहुंचती है और क्या इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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