हमारे घरों की थाली में रोटी और चावल हमेशा से मुख्य भोजन का हिस्सा रहे हैं। पुराने समय में लोग दिन भर खेतों में काम करते थे और शारीरिक श्रम इतना ज्यादा होता था कि रोटी और चावल से मिलने वाली ऊर्जा तुरंत खर्च हो जाती थी। यही कारण था कि हमारे बुजुर्ग इन दोनों खाद्य पदार्थों को खाकर भी लंबे समय तक स्वस्थ रहते थे। आज के समय की स्थिति इससे बिल्कुल अलग है।
आधुनिक जीवनशैली में अधिकतर लोग शारीरिक श्रम से दूर हैं। ऑफिस में लंबे समय तक बैठकर काम करना या फिर मोबाइल और कंप्यूटर पर समय बिताना शरीर की कैलोरी खपत को काफी कम कर देता है। रोटी और चावल दोनों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है और जब यह शरीर में ऊर्जा के रूप में खर्च नहीं हो पाते तो वसा में बदलकर जमा होने लगते हैं। यही वसा आगे चलकर मोटापा डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है।
डॉक्टरों का मानना है कि रोटी और चावल पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं है लेकिन इनका सेवन सीमित मात्रा में करना फायदेमंद है। मोटे अनाज जैसे ज्वार बाजरा रागी और ओट्स जैसी चीजें बेहतर विकल्प मानी जाती हैं क्योंकि इनमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है और यह पचने में भी धीमे होते हैं। इससे ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहता है और लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है।
आज के समय में स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हम खानपान और जीवनशैली में संतुलन बनाएं। यदि शारीरिक गतिविधि कम है तो रोटी और चावल का अत्यधिक सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि भोजन में विविधता लाएं और नियमित रूप से व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाएं। यही संतुलन आपको बीमारियों से बचाएगा और लंबे समय तक फिट रखेगा।
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