नई दिल्ली :- एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले को लेकर माहौल लगातार गर्माता जा रहा है। देशभर में इस मैच पर विरोध दर्ज किया जा रहा है और कई राजनीतिक दलों से लेकर आम नागरिकों तक ने नाराजगी जताई है। ऐसे ही विरोध की आवाज अब पहलगाम हमले के पीड़ित परिवार से भी उठी है।
हमले में अपने प्रियजनों को खो चुके इस परिवार ने सरकार के फैसले पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त किया है। परिवार का कहना है कि जब देश ने अपने जवान और नागरिक खोए हैं तब खेल के नाम पर पाकिस्तान से मुकाबला करना शहीदों की कुर्बानी के साथ अन्याय है। पीड़ित की मां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल करते हुए कहा कि अगर उनकी जगह कोई और मां अपने बेटे को खो देती तो क्या तब भी पाकिस्तान के साथ मैच खेला जाता।
परिवार का दर्द केवल व्यक्तिगत क्षति तक सीमित नहीं बल्कि यह सवाल पूरे देश की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उनका मानना है कि सरकार को यह समझना होगा कि खेल और कूटनीति अलग हो सकते हैं लेकिन जब बात खून की हो तो रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते। खेल के जरिए दोस्ती और भाईचारे की बातें तब ही संभव हैं जब सीमा पर शांति हो और निर्दोष लोग जान न गंवा रहे हों।
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस तेज हो गई है। एक बड़ा तबका पीड़ित परिवार की भावनाओं का समर्थन कर रहा है जबकि कुछ लोग यह मानते हैं कि खेल को राजनीति और तनाव से अलग रखना चाहिए। हालांकि पीड़ित परिवार का दर्द और सवाल हर उस नागरिक को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं जो देश की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोपरि मानता है।
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