महाराष्ट्र (मुंबई):- मुंबई पुलिस को हमेशा से बहादुरी और जिम्मेदारी का प्रतीक माना जाता है। फिल्म जगत ने भी कई बार इस जज्बे को बड़े पर्दे पर उतारा है। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म इंस्पेक्टर झेंडे ने फिर से इस विषय को लोगों के सामने रखा है। यह फिल्म बिकिनी किलर चार्ल शोभराज की गिरफ्तारी की सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें मनोज बाजपेयी ने उस ऑफिसर की भूमिका निभाई है जिसने असल जिंदगी में इस अपराधी को पकड़कर पुलिस की ताकत और समर्पण का उदाहरण पेश किया।
इंस्पेक्टर झेंडे से पहले भी कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं जिनका आधार मुंबई पुलिस की कहानियां रही हैं। इन फिल्मों में न सिर्फ अपराध से लड़ने की कठिनाइयों को दिखाया गया बल्कि यह भी बताया गया कि एक पुलिसकर्मी को अपने कर्तव्य के लिए निजी जीवन में कितनी कुर्बानियां देनी पड़ती हैं। इन कहानियों में कभी गोलियों की गूंज सुनाई देती है तो कभी परिवार से दूरी का दर्द झलकता है।
फिल्मों के माध्यम से यह भी साबित हुआ है कि मुंबई पुलिस केवल कानून और अपराध की लड़ाई नहीं लड़ती बल्कि हर नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है। उनका हौसला और आत्मबल हर परिस्थिति में अडिग रहता है। चाहे आतंकवाद हो या संगठित अपराध चाहे गैंगवार हो या साइबर क्राइम हर चुनौती का सामना करने के लिए यह फोर्स हमेशा तैयार रहती है।
इन फिल्मों ने दर्शकों को यह समझने का मौका दिया है कि वर्दी के पीछे एक इंसान भी है जिसकी अपनी भावनाएं और सपने होते हैं। बावजूद इसके वह देश और समाज के लिए अपनी ड्यूटी को सबसे ऊपर रखता है। यही वजह है कि मुंबई पुलिस की कहानियां बार बार फिल्मों का हिस्सा बनती हैं और दर्शकों को प्रेरणा देती हैं।
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