श्रीनगर (जम्मू कश्मीर):- जम्मू कश्मीर की सियासत इन दिनों हजरतबल दरगाह में लगे प्रतीक चिन्ह को लेकर गर्म है। इस विवाद पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों पर सरकारी प्रतीक चिन्हों की कोई आवश्यकता नहीं है। उनका कहना है कि प्रतीक चिन्ह का स्थान केवल सरकारी दफ्तरों या प्रशासनिक संस्थानों में होता है न कि मस्जिद या दरगाहों में। उन्होंने इस मामले को लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा बताते हुए कहा कि ऐसे कदमों से समाज में अनावश्यक तनाव पैदा होता है।
उमर अब्दुल्ला ने इस विवाद के लिए वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष आसिया अंद्राबी की सीधी आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि जब मामला संवेदनशील हो और लोगों की आस्था प्रभावित हो रही हो तो जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को और सावधानी से काम करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी हालात में जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाना गलत है और यदि गलती हुई है तो उसके लिए बिना देरी के माफी मांगना चाहिए।
उन्होंने जनता से अपील की कि वह इस मसले को राजनीतिक रंग न दें और शांति बनाए रखें। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की गंगा जमुनी तहजीब हमेशा आपसी भाईचारे और धार्मिक सद्भाव का उदाहरण रही है और इसे आहत करना किसी के हित में नहीं है।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार धार्मिक स्थलों में किसी प्रकार के प्रतीक चिन्ह लगाने के पक्ष में नहीं है और इस मामले की जांच कराई जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसे हालात पैदा न हों इसके लिए प्रशासन को स्पष्ट दिशा निर्देश दिए जाएंगे।
इस विवाद ने पूरे राज्य में चर्चा को जन्म दे दिया है और अब सभी की नजरें इस पर हैं कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
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