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शाहिद अफरीदी का दुबई में स्वागत: एक सांस्कृतिक मिलन या राजनीतिक विवाद?

दुबई :- हाल ही में दुबई में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी की मौजूदगी ने भारत में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में देखा गया कि जैसे ही अफरीदी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, आयोजकों ने कार्यक्रम रोक दिया और उन्हें मंच पर बुलाया। अफरीदी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भारत, विशेषकर केरल की प्रशंसा की और वहां के खानपान की सराहना की। हालांकि, इस घटनाक्रम ने भारत में कई लोगों को आहत किया है, खासकर उन्हें जो अफरीदी के पुराने भारत-विरोधी बयानों से वाक़िफ़ हैं।

अफरीदी का भारत को लेकर दोहरा रवैया

शाहिद अफरीदी अपने क्रिकेट करियर के बाद अकसर विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रहे हैं। भारत के खिलाफ उनके तीखे बयान और कश्मीर मुद्दे पर उनकी टिप्पणी कई बार भारतीय जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा चुकी है। ऐसे में जब वह दुबई में भारत से जुड़े एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में विशेष अतिथि बनकर मंच पर पहुंचे और उनकी प्रशंसा की गई, तो सवाल उठना लाज़िमी है। क्या यह केवल एक सांस्कृतिक सौजन्यता थी या फिर आयोजकों की एक बड़ी चूक?

केरल समिति पर उठे सवाल

कार्यक्रम में अफरीदी को आमंत्रित करने वाली केरल समिति अब कटघरे में है। सोशल मीडिया पर यूज़र्स सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर एक ऐसा व्यक्ति जिसे भारत के खिलाफ बोलने में संकोच नहीं होता, उसे एक भारतीय सांस्कृतिक मंच पर क्यों आमंत्रित किया गया? क्या यह आयोजन का राजनीतिकरण था या आयोजकों की अनभिज्ञता?

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मिलन का हिस्सा था, जहां अफरीदी को एक सेलिब्रिटी के रूप में आमंत्रित किया गया था, न कि उनके राजनीतिक विचारों के लिए। लेकिन जब कोई व्यक्ति बार-बार भारत के खिलाफ ज़हर उगलता रहा हो, तो उससे जुड़े किसी भी मंच को भारतवासी सहजता से स्वीकार नहीं कर सकते।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

वीडियो वायरल होने के बाद ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई यूज़र्स ने इसे ‘शर्मनाक’ और ‘भारत विरोधियों को बढ़ावा देने वाला’ बताया। वहीं, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि एक खिलाड़ी को उसकी क्रिकेट पहचान से जोड़कर देखना चाहिए, न कि राजनीतिक बयानों से।

शाहिद अफरीदी का दुबई कार्यक्रम में स्वागत केवल एक सादे सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा हो सकता है, लेकिन उनके अतीत के विवादित बयानों को देखते हुए भारतीय जनता की नाराज़गी समझी जा सकती है। आयोजकों को ऐसे मामलों में अधिक संवेदनशीलता और विवेक दिखाने की ज़रूरत है। सांस्कृतिक संवाद ज़रूरी है, लेकिन सम्मान और आत्मसम्मान के साथ।

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