नई दिल्ली :- भारत की विदेश नीति और कूटनीति का एक सशक्त उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर की त्वरित प्रतिक्रिया और स्पष्ट संवाद के चलते कोलंबिया को महज़ 48 घंटे के भीतर पाकिस्तान के समर्थन में दिया गया बयान वापस लेना पड़ा। यह घटनाक्रम “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में सामने आया, जो भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई के रूप में हाल ही में अंजाम दिया गया था।
क्या था मामला?
भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमापार आतंकी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई के बाद दुनिया भर की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी थीं। इसी बीच कोलंबिया सरकार ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के प्रति “संवेदना” प्रकट की, जिससे भारत में कड़ी नाराजगी देखी गई। कोलंबिया के इस बयान को न केवल भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का अनादर माना गया, बल्कि इसे एकतरफा और तथ्यविहीन करार दिया गया।
थरूर की कूटनीतिक सक्रियता
संयोगवश, भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल उस समय कोलंबिया की यात्रा पर था, जिसमें शशि थरूर भी शामिल थे। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्रभावशाली आवाज रहे थरूर ने इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से उठाया। उन्होंने कोलंबिया के वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे संवाद करते हुए भारत की स्थिति स्पष्ट की और बताया कि ऑपरेशन सिंदूर आत्मरक्षा में किया गया कदम था, जिसका उद्देश्य केवल आतंकवाद को समाप्त करना है।
थरूर ने कोलंबिया को यह भी याद दिलाया कि भारत हमेशा से वैश्विक शांति और लोकतांत्रिक मूल्यों का पक्षधर रहा है, और पाकिस्तान की तरफ से फैलाए जा रहे आतंकवाद से न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा है। उनका तर्क तथ्यों पर आधारित था और बेहद तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
कोलंबिया का यूटर्न
थरूर की इस स्पष्ट और प्रभावशाली वार्ता के बाद, कोलंबिया ने अपने बयान को वापस लेने में देर नहीं की। महज 48 घंटों के भीतर कोलंबिया सरकार ने अपने आधिकारिक बयान को संशोधित करते हुए कहा, “हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं और हमारा उद्देश्य किसी की निंदा या पक्ष लेना नहीं था।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका बयान एकतरफा जानकारी के आधार पर था और भविष्य में वे ऐसे संवेदनशील मामलों में अधिक सतर्कता बरतेंगे।
भारत की विदेश नीति की जीत
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का प्रतीक है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं रहा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर अपने हितों की रक्षा करना भी जानता है। शशि थरूर जैसे अनुभवी और वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाले नेता जब दृढ़ता से भारत का पक्ष रखते हैं, तो उसका प्रभाव साफ दिखता है।
कोलंबिया द्वारा पाकिस्तान के समर्थन वाला बयान वापस लिया जाना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक सतर्कता और संवाद शक्ति की सफलता है। थरूर की भूमिका इस पूरी घटना में सराहनीय रही, जिससे यह संदेश भी गया कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिष्ठा से जुड़ी हर बात पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तत्काल और ठोस प्रतिक्रिया दी जाएगी।